यदि इस अवधि में आवेदन नहीं किया तो इसके बाद संबंधित पेयजल योजना के अवैध कनेक्शन को तो हटाया ही जाएगा, वहां बिजली उपलब्धता के लिए कोई लाइन तक नहीं रखी जाएगी। वहां मौजूद तारों व खंभों को भी हटा दिया जाएगा। ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों के खिलाफ विद्युत अधिनियम 2003 के तहत कार्रवाई भी की जाएगी।
सीईओ को आदेश पंचायतीराज विभाग की ओर से सभी जिला परिषदों के सीईओ को निर्देशित किया है कि वे ग्राम पंचायतों के माध्यम से पेयजल योजनाओं के लिए आगामी 31 दिसम्बर तक बिजली के कनेक्शन के लिए आवेदन करवाएं। मांग पत्र की राशि जमा होने या ग्राम पंचायत के ग्रामसेवक या विकास अधिकारी की ओर से 60 दिन में राशि जमा करा देने की अण्डर टेंकिंग देने के बाद नए कनेक्शन के लिए अलग से ट्रांसफार्मर लगाकर कनेक्शन जारी कर दिया जाएगा। इसके बाद ग्राम पंचायतों को विद्युत निगम की ओर से बिल जारी किया जाएगा। यदि बिल जमा नहीं कराया तो कनेक्शन काट दिया जाएगा तथा विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 के तहत कार्रवाई होगी।
राजस्व की भारी हानि : ऊर्जा मंत्री ऊर्जा राज्य मंत्री पुष्पेन्द्रसिंह ने बताया कि विद्युत निगम की ओर से प्रत्येक पेयजल योजना पर अलग से ट्रांसफार्मर लगाकर नियमित कनेक्शन देने का प्रावधान है, लेकिन पंचायतों की ओर से कनेक्शन नहीं लेकर सीधे आंकड़े लगाकर पेयजल योजनाओं के कनेक्शन किए हुए हैं। बिल नहीं आने से टयूबवेल कोई बंद तक नहीं करता। पानी भी बर्बाद होता है और बिजली भी। इन अवैध कनेक्शनों से बिजली वितरण कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।