International Day of the Girl Child पर शर्मसार हुआ राजस्थान, मां-बाप ने नवजात बच्ची को गड्ढे में जिंदा गाड़ा, हुई मौत
घर में जन्मी थी छटी बेटी सोरम बाई ने बताया कि उसके पहले से ही 5 बेटियां हैं। बेटे की चाह में जब एक और बेटी जन्मी तो घर परिवार में कोहराम मच गया। घर में कोई भी बेटी का बोझ बर्दास्त करने को राजी ना था। हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद कुछ किमी का रास्ता उसे मीलों का लगने लगा और झालरापाटन पहुंचते-पहुंचते आखिरकार उसके कदम डगमगा गए। पति वीरमलाल ने भी उसे सहारा देने के बजाय बेटी को ही रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया। अंधेरा होते ही दोंने ने तय किया कि बच्ची को रास्ते में ही कहीं गड्ढा खोदकर दबा देते हैं। गांव के लोग पूछेंगे तो कह देंगे हॉस्पिटल से घर लाते समय बच्ची की मौत हो गई।
#sehatsudharosarkar: गली-गली मौत बांट रहे झोलाछाप, आंखें मूंद बैठा चिकित्सा विभाग
कसकर पकड़ लिया था मां का आंचल बीरमलाल ने जब गड्ढे में गाड़ने के लिए नन्ही जान को उसकी मां सोरम बाई की गोद से खींचा तो 7 दिन की मासूम ने अपने नन्हे हाथों से मां का आंचल कसकर पकड़ लिया। लेकिन बेटी को बोझ समझने वाले माता-पिता उसका डर और पीड़ा नहीं समझ पाए और हाथ झटककर उसे जमीन पर पटक दिया। यहीं नहीं उसके सिर पर भारी पत्थर रख जिम्मेदारी से मुंह मोड़ भाग निकले तो मासूम किलकारी रुदन में बदल गई।
सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध के बीच
कोटा में होगी 35 करोड़ की आतिशबाजी, बच्चों को भा रहा पोप-पोप, युवाओं को रावण बममानो छोड़ ही दी थी जीने की आस वेयर हाउस के पास काम कर रहे मजदूरों ने बताया कि उन्होंने जब बच्ची को गड्ढे से बाहर निकाला था तो उसकी धड़कनें सुनकर उम्मीद जागी थी कि बच्ची अब जिंदा बच जाएगी, लेकिन साहब जिले पैदा करने वाले ही मारने पर उतर आए हों तो वह जीकर भी क्या करेगा। शायद यही सोचकर आखिरकार उस लाड़ो ने दोबारा इस देश ना आने की कसम खाकर अपनी सांसें त्याग दीं। झालावाड़ जनाना हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ.राजन नंदा ने बताया कि नवजात की हालत नाजुक बनी हुई थी। डॉक्टरों ने उसे बचाने की जी तोड़ कोशिश की, लेकिन मानो जैसे वह जिंदा रहने के लिए ही राजी ना थी और आखिरकार घटना के 5.30 घंटे बाद ही उसने हमेशा के लिए आंखें मूंद ली।