scriptRajasthan Politics: विधानसभा सत्र चलाने से बच रही सरकारें, जनता के मुद्दे होते जा रहे गौण | Rajasthan Politics Governments are avoiding running assembly sessions, public issues are becoming secondary; Rajendra Rathore said- democracy is diminishing | Patrika News
जयपुर

Rajasthan Politics: विधानसभा सत्र चलाने से बच रही सरकारें, जनता के मुद्दे होते जा रहे गौण

राज्य में सरकारों के गठन के शुरूआती दौर में तो संविधान सभा की ज्यादा बैठकें बुलाने में रुचि दिखाई गई, लेकिन धीरे-धीरे विधानसभा के सत्रों की बैठकों की संख्या सिमटती गई।

जयपुरJan 19, 2025 / 08:04 am

Lokendra Sainger

rajasthan assembly

rajasthan assembly

अरविन्द सिंह शक्तावत
जयपुर। राजस्थान की भजनलाल सरकार का बजट सत्र इस माह के अंत में शुरू होने जा रहा है। इस सरकार का यह तीसरा सत्र होगा। सत्र को लेकर राजस्थान विधानसभा, सत्तापक्ष, विपक्ष और अन्य दल तैयारियों में जुट गए हैं, लेकिन एक बड़ा सवाल है कि आखिर सत्र कितने दिन चलेगा? पिछले साल बजट सत्र 30 दिन या इससे अधिक चलाने के बड़े-बड़े दावे किए गए थे, लेकिन वह झूठे ही साबित हुए। राज्य में सरकारों के गठन के शुरूआती दौर में तो संविधान सभा की ज्यादा बैठकें बुलाने में रुचि दिखाई गई, लेकिन धीरे-धीरे विधानसभा के सत्रों की बैठकों की संख्या सिमटती गई।

संबंधित खबरें

सत्र की बैठकें कम होने के साथ ही हर मुद्दे पर हंगामा और सरकारों के विपक्ष के मुद्दों पर स्पष्ट जवाब नहीं देने की रणनीति के चलते जनता के उठाने जाने वाले मुद्दे ही गौण साबित हो रहे हैं। अब तो हालात यह हो गई कि पांच साल में जितने दिन विधानसभा का सत्र चलना चाहिए, उसके मुकाबले आधे दिन भी नहीं चल रहा। नियमों की बात की जाए तो हर साल तीन सत्र और 60 बैठकें होनी चाहिए। सरकार के पांच साल में बैठकों की संख्या करीब 300 होनी चाहिए। लेकिन अब यह आंकड़ा पांच साल का 150 बैठकों तक भी नहीं पहुंच रहा। राज्य की वर्तमान भाजपा सरकार भी सत्र ज्यादा दिन चलाने में अभी तक रुचि लेती नहीं दिख रही है।
लोकतंत्र के इस मंदिर में नियमों की पालना की परम्परा पिछली सरकारों से लगातार टूटती आ रही है। वर्ष 1952 से लेकर अब तक मात्र दो ही सरकारें ऐसी रही हैं, जिन्होंने संविधान के तहत बने नियमों की पालना करते हुए सदन की बैठकें पूरी बुलाई। यह दोनों सरकारें शुरुआती दौर की रही।

पांच साल में 300 दिन सदन चलना जरूरी

राजस्थान की पहली और दूसरी विधानसभा ही ऐसी रही, जिसने पूरे पांच साल में 300 से ज्यादा सदन की बैठकें बुलाई। तीसरी विधानसभा के गठन से सदन की बैठकें लगातार कम होती गईं। हर सरकार को साल में कम से कम 60 दिन सत्र चलाना जरूरी है, लेकिन हालात यह हैं कि कई साल तो ऐसे ही गुजर गए, जब पूरे साल में विधानसभा की बैठकें 30 दिन भी नहीं चली और पांच साल में 150 बैठके भी पूरी नहीं हुई।

बातें-दावे खूब, लेकिन परिणाम शून्य

देशभर की विधानसभाओं के पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलनों में हर सदन ज्यादा चलाने को लेकर चर्चा होती है। लेकिन चर्चा सिर्फ सम्मेलनों तक ही सीमित रही है। वजह है कि पीठासीन अधिकारियों ने सदन चलाने का प्रयास भी किया, लेकिन सरकारें नियमानुसार सदन चलाने से बचती रही हैं।

ना तीन सत्र, ना 60 दिन

संविधान के अनुच्छेद 174 के तहत विधानसभा की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन संबंधी नियम के चैप्टर 2 में कहा गया है कि विधानसभा के कम से कम तीन सत्र होने चाहिए। शीतकालीन, मानसून और बजट सत्र सत्र। एक कलेंडर वर्ष में कम से कम 60 दिन सदन चलना जरूरी है। चार माह में एक बार सत्र बुलाने और 60 बैठकें बुलाए जाने को लेकर पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में कई बार प्रस्ताव भी पास हुए। लेकिन यह तभी संभव है जब संसद में संविधान संशोधन हो। – घनश्याम तिवाड़ी, पूर्व मंत्री एवं संसदीय मामलों के जानकार।

पांच साल में 15 सत्र बुलाना जरूरी

विधानसभाओं के लिए तय नियमों के अनुसार पांच साल में कम से कम 15 सत्र बुलाए जाने जरूरी हैं, लेकिन राजस्थान में एक भी सरकार ऐसी नहीं रही, जिसने पूरे 15 सत्र बुलाए हों। वर्ष 1972 से 1977 (पांचवी विधानसभा) में जरूरी मुख्यमंत्री रहे बरकतुल्लाह खान और हरिदेव जोशी ने 13 सत्र बुलाए।
यह भी पढ़ें

मंत्री किरोड़ी लाल का SI भर्ती परीक्षा को लेकर बड़ा बयान, खामोशी पर दिया करारा जवाब

सरकारों का गठन और कम होती सदन की बैठकें

विधानसभा – कितने दिन चली – मुख्यमंत्री रहे

  • पहली- 303- टीकाराम पालीवाल, जयनारायण व्यास, एम एल सुखाडिया
  • दूसरी- 306- एम एल सुखाड़िया
  • तीसरी- 268- एम एल सुखाड़िया
  • चौथी- 242 एम एल सुखाड़िया, बरकतुल्लाह खान
  • पांचवी- 200- बरकतुल्लाह खान, हरिदेव जोशी
  • छठी- 115- भैरों सिंह शेखावत
  • सातवीं- 168 जगन्नाथ पहाड़िया, शिवचरण माथुर, हीरालाल देवपुरा
  • आठवीं- 180- हरिदेव जोशी, शिवचरण माथुर
  • नौवीं- 95- भैरों सिंह शेखावत
  • दसवीं- 141- भैरों सिंह शेखावत
  • ग्यारहवीं- 143- अशोक गहलोत
  • बारहवीं-140- वसुंधरा राजे
  • तेरहवीं-119- अशोक गहलोत
  • चौदहवीं- 139- वसुंधरा राजे
  • पन्द्रहवीं- 147- अशोक गहलोत
  • सोलहवीं- 30 – भजनलाल शर्मा लगातार…
संविधान में साफ लिखा है कि विधानभा के तीन सत्र बुलाने जरूरी हैं, लेकिन देशभर में ही विधानसभाओं की बैठकें कम होती जा रही हैं। इस वजह से विधायिका का नौकरशाही पर नियंत्रण कम हो रहा है। विधानसभा चलेगी ही नहीं तो सरकार का उत्तरदायित्व बचेगा ही कहां? बैठकें कम होना यह इंगित कर रहा है कि लोकतंत्र लगातार कम होता जा रहा है- राजेन्द्र राठौड़, पूर्व संसदीय कार्यमंत्री

Hindi News / Jaipur / Rajasthan Politics: विधानसभा सत्र चलाने से बच रही सरकारें, जनता के मुद्दे होते जा रहे गौण

ट्रेंडिंग वीडियो