कॉरपोरेट स्टाइल में बने इस पांच मंजिला इमारत की हर दीवार पर ऐतिहासिक तस्वीरों को जगह दी गई है। कांग्रेस छोड़ने व बगावत करने वाले नेताओं के योगदान को स्थान मिला है। 1989 में कांग्रेस को अर्श से फर्श पर लाने वाले वीपी सिंह 1985 की केंद्रीय कैबिनेट की बैठक की तस्वीर में दिख रहे हैं। इसमें राजीव गांधी के साथ मनमोहन सिंह, पीवी नरसिम्हा राव व केआर नारायणन बैठे हैं। आजाद भी राहुल और सोनिया के साथ संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ राजघाट पर कांग्रेस के प्रदर्शन की तस्वीर में दिख रहे है। इसमें मनमोहन समेत कई अन्य नेता भी नजर आ रहे हैं।
विरोधियों के योगदान को भी मिली जगह
ऐसा कहा जाता है कि पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की सोनिया गांधी से अदावत रही है। ऐसी चर्चाओं को विराम देने के लिए राजीव गांधी की पुण्य तिथि के एक कार्यक्रम की तस्वीर लगाई गई है जिसमें सोनिया के साथ नरसिम्हा राव भी हैं। भाजपा में जाने वाले कई नेताओं की तस्वीरें नए भवन में देखी जा सकती है। इनमें सुरेश पचौरी, रविंद्र सिंह बिट्टू, सुधाकर रेड्डी जैसे कई नेताओं के नाम प्रमुख है।
‘भारत छोड़ो’ से ‘भारत जोड़ो’ तक का सफर
पार्टी के कोषाध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि इंदिरा भवन की हर मंजिल कांग्रेस के एक युग के इतिहास को दर्शाती है। यह भारत की आजादी का भी एक गौरवमयी इतिहास है। इस भवन की अनूठी विशेषता सेंट्रल एट्रियम है, जो भवन में खुलेपन और जुड़ाव का एहसास देता है। इंदिरा भवन में सीढ़ी-दर-सीढ़ी महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन से लेकर राहुल गांधी के भारत जोड़ो आंदोलन की गूंज महसूस होगी।
225 करोड़ में बना इंदिरा भवन
माकन ने बताया कि इस भवन के निर्माण में हर कांग्रेस कार्यकर्ता का योगदान है। इसको बनाने में करीब 200 से 225 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इसका क्षेत्रफल 2,100 वर्ग मीटर में है, जिसमें 276 सीट का ऑडिटोरियम और बहुत सारे मीटिंग रूम और कॉन्फ्रेंस हाल हैं।