इसरो ने इसके लिए विकास तरल इंजन को फिर से चालू करने के परीक्षण में सफलता हासिल की है। विकास इंजन का प्रयोग इसरो के लगभग सभी रॉकेटों (एसएसएलवी को छोड़कर) में होता है। नई तकनीक के परीक्षण का उद्देश्य मिशन लॉन्च करने के बाद रॉकेट के उन चरणों को फिर से धरती पर वापस लाना है ताकि, भविष्य के मिशन में उनका बार-बार प्रयोग किया जा सके। इससे उपग्रहों के प्रक्षेपण लागत में काफी कमी आ जाएगी।
विकास इंजन के री-स्टार्ट परीक्षण का मतलब है कि कार्य पूरा होने के बाद रॉकेट के तरल चरण को फिर से सक्रिय किया जाएगा और उसे धरती पर लाया जाएगा। इसरो को भी इसमें कामयाबी मिलती है तो लगभग 175 किमी की ऊंचाई से तरल चरण को वापस धरती पर लाया जा सकेगा और भविष्य के मिशनों में उसका प्रयोग हो सकेगा।
ऐसे हुआ परीक्षण
इसरो ने रॉकेटों के दोबारा प्रयोग के लिए महेंद्रगिरि स्थित केंद्र में विकास इंजन का री-स्टार्ट परीक्षण किया। इसके लिए पहले इंजन को 60 सेकंड तक फायर किया गया। इसके बाद इंजन को बंद कर दिया गया। 120 सेकेंड बाद इंजन को फिर से चालू किया गया और 7 सेकंड तक फायर किया गया। इस दौरान इंजन को बंद करने और फिर सक्रिय कर उसका प्रयोग करने में शत-प्रतिशत सफलता मिली।