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सावधान कोटावासियों! घडिय़ाल का रंग कर दे सफेद, वो जहर पहुंच रहा आपके शरीर में…कैसे पढि़ए खबर

सावधान कोटावासियों! हवा और पानी में खतरनाक जहर घुल रहा है। इसका असर इतना तेज है कि घडिय़ालों का रंग सफेद हो चुका है। अंदाजा लगाएं की आपके शरीर को कितना नुकसान पहुंचा रहा है।

कोटाApr 25, 2019 / 10:11 am

​Zuber Khan

 kota stone Slurry

सावधान कोटावासियों! घडिय़ाल का रंग कर दे सफेद, वो जहर पहुंच रहा आपके शरीर में…कैसे पढि़ए खबर

कोटा. पत्थर कारखानों ( kota stone mines ) से निकलने वाली kota stone Slurry कोटा के लिए मुसीबत बनने रही है। इंडस्ट्रीयल एरिया में Dumping Yard आवंटित होने के बावजूद सुभाषनगर लो लाइन एरिया में स्लरी ( Slurry ) से भरे टैंकर खाली हो रहे हैं। तेज धूप से सूखी सैकड़ों टन स्लरी हवा के साथ उड़कर न सिर्फ एनजीटी के आदेशों की धज्जियां उड़ा रही है, बल्कि लोगों की सांसों में जहर भी घोल रही है।
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खदानों से निकले पत्थर को तराशकर इस्तेमाल के लायक बनाने के लिए कोटा में 400 से ज्यादा कारखाने स्थापित थे। इनसे निकलने वाले पत्थरों के टुकड़े और गीला मलवा (स्लरी) खुले इलाकों में ही फेंके जा रहे थे। पानी में घुलकर यह मलबा चम्बल तक जा पहुंच जिसकी वजह से घडिय़ालों की त्वचा सफेद पड़ गई। वर्ष 2014 में जब मामला राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) तक पहुंचा तब जाकर कारखाना मालिकों पर शिकंजा कसा।

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एनजीटी ने अक्टूबर 2015 में खुले में स्लरी फेंक कर प्रदूषण फैला रही 267 इकाइयों पर 15 करोड़ रुपए का जुर्माना ठोक दिया। कारखाना मालिकों ने जब तय जगह पर ही स्लरी डंप करने का हलफनामा और पांच लाख रुपए की जनामत राशि राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (आरएसपीसीबी) में जमा कराई तब कहीं जाकर उनके ऊपर लटकी बंदी की तलवार हटी।
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एनजीटी का आदेश हवा में
कारखाना मालिकों, आरएसपीसीबी और रीको ने दिसंबर 2015 में जैसे तैसे एनजीटी को भरोसा दिलाया कि वह स्लरी के समुचित निस्तारण के लिए टाइल्स बनाने के साथ ही इंडस्ट्रीयल एरिया में आवंटित डंपिंग यार्ड में ही स्लरी डालेंगे तब जाकर एनजीटी ने जनवरी 2016 में मामला बंद किया। एनजीटी ने स्टोन उद्यमियों को स्लरी सूखा कर ही डंपिंग यार्ड में भेजने, डंपिंग यार्ड की चारदीवारी कराने, आरएसपीसीबी को जल्द से जल्द टाइल्स प्लांट लगाने और मॉनीटरिंग करने के निर्देश दिए थे।

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फिर उड़ी धज्जियां
डंपिंग यार्ड तैयार होने तक यूआईटी ने सुभाषनगर मुक्तिधाम के पास अस्थाई तौर पर स्लरी डालने के लिए जगह दी, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के बाद यहां से हटाकर अनन्तपुरा थाने के पास दो भूखंडों के गहरे गड्ढों में भरे जाने की अनुमति दी गई। इंडस्ट्रीयल एरिया में डंपिंग यार्ड बनने के बाद इन भूखंडों पर स्लरी डालने का काम बंद होना था, लेकिन दो साल बाद भी रोक नहीं लगी। यूआईटी ने भूखंड इस शर्त पर दिए थे कि स्लरी उड़कर सड़क और आवासीय इलाकों में न घुसे। इसके लिए रीको को इनकी चारदीवारी कराने के बाद उद्यमियों की मदद से स्लरी के ऊपर मिट्टी की मोटी परत बिछाकर पेड़ लगवाने थे, लेकिन इनमें से किसी भी शर्त की पालना नहीं की गई।
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सख्ती भी नहीं आई काम
स्लरी से होने वाले वायु एवं जल प्रदूषण रोकने के इंतजाम तो हुए ही नहीं उल्टा तेज हवाओं के साथ यह उड़कर राहगीरों की सांसों और आंखों में जाने लगी। सुभाष नगर और कर्णेश्वर आवासीय योजनाओं के साथ-साथ जब आसपास बनी मल्टी स्टोरीज के घरों तक स्लरी उड़कर पहुंचने लगी तो लोगों ने यूआईटी से इस पर रोक लगाने की मांग की। सरकार तक शिकायत पहुंची तो यूआईटी ने रीको को पत्र लिखकर शर्तों के उल्लंघन की याद दिला कार्रवाई की चेतावनी दे डाली। मामला गंभीर होता देख डेढ़ महीने पहले आरएसपीसीबी, रीको और यूआईटी के अफसरों ने स्थिति सुधारने के लिए पत्थर कारोबारियों के साथ बैठक की। इसके बावजूद भी न तो स्लरी उडऩा बंद हुई और ना ही प्रदूषण पर लगाम लगाई जा सकी। कार्रवाई न होते देख स्थानीय लोगों ने एक बार फिर एनजीटी का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है।
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पल्ला झाड़ते रहे जिम्मेदार
इंडस्ट्रीयल एरिया के डंपिंग यार्ड में इतनी जगह नहीं है कि वहां रोजाना स्लरी डाली जा सके। वहां लगी टॅाइल्स बनाने की यूनिट ज्यादा से ज्यादा एक ट्रक स्लरी ही रोज इस्तेमाल कर पा रही है। भूखंडों पर चारदीवारी क्यों नहीं बनाई यह तो रीको के अफसर ही बताएंगे। सड़क पर आ रही स्लरी को रोजाना हटाने के लिए पानी छिड़कवा रहे हैं। जब तक पूरा पॉड सूखेगा नहीं तब तक स्लरी के ऊपर मिट्टी नहीं डलवा सकते।
विकास जोशी, संरक्षक, हाड़ौती कोटा स्टोन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन
रीको और स्टोन एसोसिएशन को बाउंड्री वाल कराने के साथ ही स्लरी के ऊपर मिट्टी डालकर पेड़ लगाने थे। शर्तों का उल्लंघन होता दिखा तो डेढ़ महीने पहले पालना के निर्देश दिए थे। सुधार न होने पर पर्यावरण नियमों और एनजीटी के निर्देशानुसार कार्रवाई की जाएगी।
अमित जुयाल, क्षेत्रीय अधिकारी, आरएसपीसीबी

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