गुंडा एक्ट की कार्रवाई और अपराधियों को जिला बदर करने में कोटा पुलिस नं.1, पढिए पूरी रिपोर्ट
इन्हें भी किया गिरफ्तारएसीबी की टीम ने इटावा एसएचओ महावीर सिंह शेखावत को 21 मार्च को 20 हजार रुपए, नगर विकास न्यास के पटवारी संजीव गोचर को 30 मई को 30 हजार रुपए, जिला परिषद के जल ग्रहण विभाग की कनिष्ठ अभियंता प्रीति सेन, सरपंच रमेश कुमार व सचिव सुरेश कुमार को 12 जुलाई को 43 हजार रुपए, परिवहन विभाग के दो उप निरीक्षक समेत 7 जनों को ट्रक चालकों से अवैध वसूली करते, खातौली थाने के तत्कालीन एसएचओ अर्जुन स्वामी को 6 अक्टूबर को 8 हजार रुपए, केन्द्रीय भविष्य निधि विभाग के निरीक्षक नलिन भट्ट व सुरेश सैनी को 8 नवम्बर को 25 हजार रुपए और वाणिज्य कर उपायुक्त (अपील्स) के निजी सहायक जितेन्द्र परचवानी को 22 नवम्बर को 11 हजार रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था।
एक ओर जहां एसीबी ने भ्रष्टाचार करने वालों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया। वहीं विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण ने भी कई पुराने मामलों का निस्तारण करते हुए भ्रष्टाचारियों को सजा से दंडित कर शिकंजा कसा।
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केस 01
वर्ष 2017 की शुरुआत में ही 20 जनवरी को एसीबी टीम ने रसद विभाग बूंदी के तत्कालीन प्रवर्तन अधिकारी बारां रोड स्थित आरके नगर निवासी इरफान कुरैशी को राशन डीलर से 10 हजार रुपए रिश्वत लेते घर से गिरफ्तार किया था। जांच में दोषी पाए जाने पर एसीबी ने अदालत में चालान पेश किया।
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अधिक सजा का प्रावधान
सहायक निदेशक अभियोजन एसीबी कोटा एहसान अहमद का कहना है कि पहले जहां रिश्वत लेना जमानती अपराध था और इसमें सजा का प्रावधान भी कम था। लेकिन सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए इसे गैर जमानती किया गया और सजा का प्रावधान भी बढ़ा दिया। इससे आरोपितों को जेल जाना ही पड़ता है और लोगों में भय भी रहता है। इससे काफी हद तक घूस के मामलों में कमी आई है।