scriptकोरोना संक्रमण में दिल व सांस की तकलीफ के रोगी रखे ख्याल | In Kota deaths, 22 were suffering from heart and respiratory disease | Patrika News
कोटा

कोरोना संक्रमण में दिल व सांस की तकलीफ के रोगी रखे ख्याल

कोरोना वायरस दिल व सांस की तकलीफ के रोगियों पर भारी पड़ रहा है। इसलिए ऐसे रोगी अभी अपना विशेष ख्याल रखें। कोटा में कोरोना संक्रमण से हुई 35 मौतों में से 8 मरीज ऐसे थे, जिन्हें दिल की बीमारी थी और 14 ऐसे, जिन्हें सांस की बीमारी थी।

कोटाJul 28, 2020 / 09:52 am

Haboo Lal Sharma

 कोरोना से हुई 25 मौतों में 22 दिल व सांस की बीमारी से थे पीडि़त

कोरोना संक्रमण में दिल व सांस की तकलीफ के रोगी रखे ख्याल

कोटा. कोरोना वायरस दिल व सांस की तकलीफ के रोगियों पर भारी पड़ रहा है। इसलिए ऐसे रोगी अभी अपना विशेष ख्याल रखें। कोटा में कोरोना संक्रमण से हुई 35 मौतों में से 8 मरीज ऐसे थे, जिन्हें दिल की बीमारी थी और 14 ऐसे, जिन्हें सांस की बीमारी थी। इमें कई ऐसे थे, जो अस्पताल पहुचने से पहले ही दम तोड़चुके थे और मौत के बाद उनकी कोरोना की पुष्टि हुई। ऐसे 18 मरीज थे, जिको मौते के बाद कोरोना की पुष्टि हुई। विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के चलते लोग अस्पताल जाने से डर रहे है। इस कारण उन्हें बचा पाना मुश्किल साबित हो रहा है। मतृतकों में 40 साल से लेकर 80 साल तक के मरीज शामिल थे।
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इनका कहना है…….
फेफड़ों की रिजर्व कैपेसिटी हो जाती है कम
मेडिकल कॉलेज के श्वास व अस्थमा रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजेन्द्र ताखर का कहना है कि पहले श्वास संबंधित बीमारियां अस्थमा, दमा या पुरानी टीबी से ग्रसित मरीजों में कोरोना का गहरा प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे मरीजों में फैफड़ों की रिजर्व कैपेसिटी पहले ही कम होती है। कोरोना वायरस से होने वाले न्यूमोनिया से फेफड़े की क्षमता और कम हो जाती है। ऐसे मरीज के ठीक होने की सम्भावना कम रहती है।
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ब्लड पम्पिंग की मता कम हो जाती है
हार्ट सर्जन डॉ. सौरभ शर्मा का कहना है कि ऐसे व्यक्ति जिनकों पहले हार्ट अटैक आ चुका है, उनके ब्लड पम्पिंग की क्षमता कमजोर हो जाती है। साथ ही डायबिटीज व ब्लड प्रेशर होने पर ऐसे मरीजों की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है। इससे कोरोना का वायरस इन पर ज्यादा प्रभाव डालता है। पुरानी बीमारी के कई मरीज ऐसे भी है जिनके मन में कोरोना का भय बना हुआ है। समय पर अस्पताल पहुंचने की बजाए ये गम्भीर स्थिति में अस्पताल पहुंच रहे है। ऐसे मरीजों को बचा पाना मुश्किल होता है।

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