फेफड़ों की रिजर्व कैपेसिटी हो जाती है कम
मेडिकल कॉलेज के श्वास व अस्थमा रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजेन्द्र ताखर का कहना है कि पहले श्वास संबंधित बीमारियां अस्थमा, दमा या पुरानी टीबी से ग्रसित मरीजों में कोरोना का गहरा प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे मरीजों में फैफड़ों की रिजर्व कैपेसिटी पहले ही कम होती है। कोरोना वायरस से होने वाले न्यूमोनिया से फेफड़े की क्षमता और कम हो जाती है। ऐसे मरीज के ठीक होने की सम्भावना कम रहती है।
हार्ट सर्जन डॉ. सौरभ शर्मा का कहना है कि ऐसे व्यक्ति जिनकों पहले हार्ट अटैक आ चुका है, उनके ब्लड पम्पिंग की क्षमता कमजोर हो जाती है। साथ ही डायबिटीज व ब्लड प्रेशर होने पर ऐसे मरीजों की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है। इससे कोरोना का वायरस इन पर ज्यादा प्रभाव डालता है। पुरानी बीमारी के कई मरीज ऐसे भी है जिनके मन में कोरोना का भय बना हुआ है। समय पर अस्पताल पहुंचने की बजाए ये गम्भीर स्थिति में अस्पताल पहुंच रहे है। ऐसे मरीजों को बचा पाना मुश्किल होता है।