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कहीं भी किए जा सकते हैं शिफ्ट जापानी तकनीक से इन भवनों के निर्माण में समय कम लग रहा है। आवश्यकता न होने पर इसके अधिकांश हिस्से (तकरीबन 80 फीसदी) को जरूरत पड़ने पर कभी भी पूरा का पूरा उठाकर शिफ्ट किया जा सकता है। इसकी एक बड़ी विशेषता यह भी है कि इसमें सीलन का झंझट नहीं है। रंगाई-पुताई की भी आवश्यकता नहीं है।
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एेसे होता है निर्माण भवन के लिए नींव का बेस तैयार किया जाता है। इसके बाद इसमें लोहे के स्ट्रक्चर को तैयार कर विशेष तरह की शीट लगाकर दीवारें तैयार की जाती हैं। छत भी इन विशेष शीटों की ही होती है। उप स्वास्थ्य केन्द्र भवनों में से प्रत्येक 12 सौ वर्ग फीट में एक लेबर रूम, एक डाक्टर रूम, एक जनरल वार्ड मय टॉयलेट, दो स्टॉफ रूम मय टॉयलेट व दो किचन बनाए गए हैं। सीलन व पुताई संबंधी समस्या नहीं होने से ये अन्य भवनों से अधिक हाईजेनिक हैं। योजना के तहत रावतभाटा में उप स्वास्थ्य केन्द्र बनाने के लिए छह गांवों का चयन किया गया था। इनमें दीपपुरा, कोटड़ा, धारणी, जगपुरा, कोलपुरा व अलसेड़ा गांव शामिल हैं। दीपपुरा, कोटड़ा, धारणी, जगपुरा में काम पूरा हो चुका है। कोलीपुरा व अलसेड़ा में काम अंतिम चरण में है।
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यहां हुआ निर्माण झालावाड़ में सर्वाधिक 49 उपस्वास्थ्य केन्द्र इस तकनीक से बनाए गए हैं। इनके अलावा बूंदी में 20, बारां में एक व कोटा जिले में करीब 11 केन्दों का निर्माण कराया गया है। रावतभाटा खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. जीजे परमार ने बताया कि रावतभाटा क्षेत्र के 6 गांवों में जापानी तकनीक से उप स्वास्थ्य भवन तैयार किए जा रहे हैं।