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पूरे हिंदू रीति-रिवाज से हुआ अंतिम संस्कार शनिवार होने व बंदर की मौत के संयोग को देखते हुए लोगों की धार्मिक भावना उमड़ आई। आलम यह था कि बंदर का शव देखकर लोग बिलख-बिलख कर रोने लगे। इसके बाद क्षेत्रवासियों ने बंदर का अंतिम संस्कार पूरी हिंदू रीति-रिवाज से कराने का फैसला लिया और पलक झपकते ही बंदर की अंतिम यात्रा के लिए लोगों ने पैसों की बौछार कर दी। इसके साथ ही शवयात्रा निकालने की तैयारियों प्रारंभ कर दी।
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गाजे-बाजे के साथ निकली शवयात्रा पैसे इकट्ठे होने के बाद इंसान के अंतिम संस्कार में होने वाली सभी क्रियाएं करते हुए गाजेबाजे से शव यात्रा निकाली और परम्परानुसार बंदर का मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार किया गया। कुछ ही देर में युवक मुक्तिधाम से सीढ़ी ले आए। बाजे वाले को बुलवा लिया। देखते-देखते ही पूरी हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार करने के लिए बैंडबाजे के साथ शवयात्रा प्रारंभ हुई। मुक्तिधाम में लकड़ियां खरीदी और चिता बनाकर पूरे क्रियाकर्म के अनुसार बंदर का अंतिम संस्कार किया गया। शवयात्रा में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुई। बंदर की शव यात्रा में उमड़ी भीड़ देखकर लोग चकित रह गए।