कोटा . एक ओर भारत सरकार दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुरूतियों पर पाबंदी लगाने के लिए कदम उठा रही है साथ ही महिला सशक्तिकरण के लिए भी प्रयास कर रही है वही प्रदेश में सुशासन का दावा और महिलाओं को सुरक्षा का भरोसा दिलाने वाली सरकार के गृह जिले झालावाड़ में इन दावों व भरोसे की पोल खुल रही है। हाड़ौती में अपराध की राजधानी बन रहा है सरकार का गृह जिला झालावाड़। सरकार के घर में ही महफूज नहीं महिलाएं तो और कहां महफूज रहेंगी। तीन साल के आंकड़ो में झालावाड़ में महिलाओं संबंधी अपराध के मामले बढे हैं।
हालात ये हैं कि पिछले तीन साल में झालावाड़ में सर्वाधिक दहेज हत्याएं हुई हैं। हालांकि 2016 के मुकाबले 2017 में कोटा रेंज में अपराधों में कमी आई है, लेकिन तीन साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो दुष्कर्म और बहला-फुसलाकर ले जाने समेत महिला अत्याचारों में झालावाड़ जिला रेंज में सबसे आगे रहा। दहेज लोभियों को सबक सिखाने में कोटा की डॉ. राशि सक्सेना ने कुछ समय पहले जो हिम्मत और साहस दिखाया, वैसा बहुत कम देखने को मिलता है। उनसे कई महिलाओं को प्रेरणा मिली वह लोगों के लिए आइडल बन गई हैं। उन से सभी को सीख लेनी चाहिए। लेकिन, हालत यह है कि आज भी महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहे हैं।
शादी के बाद चाहे प्रताडऩा का मामला हो या दहेज हत्या का। महिलाओं व युवतियों से छेड़छाड़ का मामला हो या उन्हें बहला-फुसलाकर ले जाने का। दहेज प्रताडऩा के सर्वाधिक मामले कोटा शहर और छेड़छाड़ के सबसे अधिक मामले बारां में हुए।