इससे दुकानों पर भी पतंग एवं मांझे की बिक्री बढ़ने लगी है। लेकिन एक दूसरे की पतंग काटने की होड़ में बच्चे व युवा बढ चढकऱ चायनीज मांझे की खरीद कर रहे हैं। पुलिस एवं प्रशासन की निगाह बचाकर अधिकांश दुकानदार चोरी-छिपे चायनीज मांझा बेच रहे हैं। लेकिन अब तक किसी जिमेदार विभाग ने दुकानों पर जांच कर कार्रवाई की सुध नहीं ली। सादा मांझों की आड़ में नियमों को ताक में रखकर दुकानों पर चायनीज मांझा बेचा जा रहा है।
मजबूती के साथ खतरा
चायनीज मांझा मजबूत होने से बच्चे एवं युवा इसे ज्यादा पसंद करते हैं। इसमें अधिक पतंगे काटने का रोमांच तो है लेकिन इससे खतरा भी बढ़ गया है। चायनीज मांझे से करंट का खतरा भी रहता है। इसमें लोहे का बुरादा भी रहता है। अगर यह बिजली के तारों से छू जाए तो करंट की आशंका बनी रहती है। एनजीटी ने भी चायनीज मांझे के उत्पादन, बिक्री और उपयोग पर पूरी तरह रोक लगा रखी है। लेकिन इसकी पालना कहीं नहीं हो रही है। हादसों का कारण मांझा
आमतौर पर पतंग कटने पर वो तेजी से नीचे की ओर आती है। कई बार सड़क से गुजरने वाले वाहन चालक इन धागों में उलझ जाते हैं। पतंग के सामान्य धागे के मुकाबले चायनीज मांझा खतरनाक होता है। यदि कोई चालक इसकी चपेट में आ जाए तो गर्दन में धागा उलझने से उसकी जान भी जा सकती है। चायनीज मांझा धातु मिश्रित होने से बिजली के तारों के टच होने पर करंट प्रवाहित होने का भी अंदेशा रहता है।
पक्षियों की भी हो रही मौत
पतंग कटने के बाद मांझा पेड़ों व बिजली के खंबों पर उलझा रहता है जो पक्षियों के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। उड़ते पक्षियों के पंख मांझे में उलझ जाते है और उनके पंख कट जाते है या उनकी मौत हो जाती है। पुलिस प्रशासन दुकानों पर जांच भी करता है लेकिन फोरी कार्रवाई से चायनीज मांझे पर पाबंदी नहीं लग पा रही। इनका कहना है
शहर में चायनीज मांझा बिक रहा है तो इस पर सख्ती से कार्रवाई की जाएगी। जल्द दुकानों पर बिक रहे मांझे की जांच करवाई जाएगी।
लाखन सिंह, थानाधिकारी, सांगोद