छोटे भाई को कपड़े दिलाने गए थे पिता यूनिट के हैड कांस्टेबल श्योजीराम ने बताया कि उन्हें सूचना मिली कि एक बालक छावनी चौराहे पर निराश्रित हालत में घूम रहा है। इस पर वे कांस्टेबल प्रदीप सिंह के साथ मौके पर पहुंचकर बालक से पूछताछ की। इस पर उसने अपना नाम जयदीप मिश्रा (12) पुत्र रमेश कुमार बताया। बालक का कहना है कि वह पिता व छोटे भाई के साथ बुधवार को कोटा आया था और रात को रेलवे स्टेशन स्थित धर्मशाला में ठहरे थे। सुबह पिता गुमानपुरा आए थे। यहां छोटे भाई को कपड़े दिलाने की बात कहकर उसे बैठाकर चले गए। इसके बाद से ही वे नहीं आए। श्योजीराम ने बताया कि बालक को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश कर फिलहाल शेल्टर होम में अस्थायी आश्रय कराया है। उसके पिता व भाई की तलाश की जा रही है।
दो किशोरों को बालश्रम से मुक्त कराया चाइल्ड लाइन के केन्द्र समन्वयक भूपेन्द्र गुर्जर ने बताया कि खैरूला गांव में दो नाबालिगों से बालश्रम करवाए जाने की सूचना मिली थी। इस पर वे शहर समन्वयक अमरलाल, मोनिका और ग्रामीण मानव तस्करी विरोधी यूनिट के उप निरीक्षक मौसम यादव के साथ गांव पहुंचे। जहां बिहार निवासी 13 व 17 वर्षीय किशोर मधुमक्खी पालन का कार्य करते हुए मिले। पूछताछ में उन्होंने बताया कि 6 माह पहले उनके ही गांव का एक व्यक्ति उन्हें यहां काम करवाने के लिए लेकर आया था। उन्हें यहां काम के बदले 2500 से 6 हजार रुपए महीना मेहनताना मिलता है। खाना वे खुद ही बनाते हैं। इस पर टीम ने उन दोनों किशोरों को वहां से मुक्त कराया और बूढ़ादीत थाने में नियोक्ता के खिलाफ रिपोर्ट दी। दोनों किशोर को बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष के समक्ष पेश किया। जहां से उन्हें उत्कर्ष संस्थान में अस्थायी आश्रय दिलाया गया।