हर वर्ष अच्छी रैंक वाले हजारों विद्यार्थी वर्ष 2012 व 2017 में खुली आईआईटीज की कोर ब्रांचेज की तुलना में टॉप आईआईटीज की कोर ब्रांचेंज के अतिरिक्त लोअर ब्रांचेंज में प्रवेश को प्राथमिकता देते थे। इसका कारण यह था कि वे एक वर्ष की पढ़ाई के बाद ब्रांच अपग्रेड को टारगेट में रखते थे। यह ऑप्शन उपलब्ध होने के कारण एक साल में अपनी सीजीपीए के आधार ड्रीम ब्रांच में एडमिशन ले लेते थे। अब यह ऑप्शन देश की टॉप आईआईटीज बंद करने लगी है। इसके अलावा 17 एनआईटी ने भी ब्रांच चेंज के ऑप्शन बंद कर दिए।कॅरियर काउंसलिंग एक्सपर्ट अमित आहूजा ने बताया कि इससे आईआईटी बॉम्बे की एनर्जी, कैमिकल, सिविल, मेटलर्जी, एनवायरमेंटल साइंस, एयरोस्पेस एवं कैमेस्ट्री इंजीनियरिंग ब्रांचेज की कटऑफ में काफी बढ़ोतरी हुई है। इस वर्ष एनवायरमेंटल साइंस एण्ड इंजीनियरिंग ओपन कैटेगिरी में जेंडर न्यूट्रल कोटे से 5401 एवं बीएस कैमेस्ट्री 9064 रैंक पर क्लोज हुई।
वहीं ओपन कैटेगरी में ही फीमेल पूल कोटे से यह ब्रांचेज क्रमशः 10623 एवं 14929 एआईआर पर क्लोज हुई। इस वर्ष कई ब्रांचेंज में एडमिशन कटऑफ में 3 से 4 हजार एआईआर की बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में भविष्य में यदि इसी तरह से अन्य आईआईटी ब्रांच चेंज के ऑप्शन्स को बंद करती जाती हैं तो विद्यार्थी टॉप आईआईटीज की अन्य ब्रांचों के मुकाबले वर्ष 2012 में खुली आईआईटीज इंदौर, गांधीनगर, जोधपुर, पटना, रोपड, मंडी तथा 2017 में खुली पलक्कड़, धरवाड, तिरूपति, गोवा, भिलाई जैसी आईआईटी में कोर ब्रांचेंज को प्राथमिकता में चुनना शुरू कर सकते हैं। इसका बड़ा कारण कोर ब्रांचेज जैसे कम्प्यूटर साइंस, इलेक्ट्रिकल, एआई एवं डाटा साइंस, मैकेनिकल में जॉब ऑप्शन अधिक होना है।