हर्ष गुप्ता का परिवार बेहद साधारण है। उनके पिता प्राइवेट काम करते हैं और मां गृहणी हैं। दो बहनें हैं वे भी पढ़ रही हैं। वे अच्छा क्रिकेट खेलते हैं इस कारण राज्य स्तरीय क्रिकेट प्रतियोगिताओं में कई बार मौका मिला। लेकिन परिवार के हालात देखते हुए इस मंहगे गेम को बंद करना पड़ा। उसके साथ ही सीए की तैयारी शुरू की। परिवार, टीचर और दोस्तों ने इतना मोटिवेट किया कि ग्यारह से बारह घंटे तक रोज पढ़ाई करने लगे।
अब पहले ही प्रयास में सफल हो गए। जब हर्ष पढ़ाई से बोर हो जाते और मन उचट जाता तो खास प्रक्रिया का सहारा लेते। वे खुद को मोटिवेट करने के लिए खुद से ही बातचीत करते थे और साथ ही कृष्ण भजन सुनते थे। जिनसे लगातार प्रेरण मिली और अब सफलता कदमों में आ झुकी। हर्ष कोटा शहर के रायपुरा इलाके के संस्कार आंगन शिवाजी नगर में परिवार के साथ रहते हैं।