यूं निखारा जा रहा है रूप
यहां पेडस्टलों पर प्रतिमाओं को दर्शाया जाएगा। साथ ही, पुरा सम्पदा से सम्बन्धित आवश्यक जानकारी दी जाएगी। पहले गैलरीज कॉमन थी, अब अलग-अलग विषय के अनुसार गैलरीज सजाई जाएगी। शिवा दीर्घा, वैष्णवी दीर्घा, जैन दीर्घा, लोक जीवन पर आधारित दीर्घा होगी। इसमें लोक कला संस्कृति से सम्बन्धित वस्तुओं को दर्शाया जाएगा। पुरा सम्पदा के जरिए पर्यटक नृत्य, नारी शृंगार व लोक जीवन को इस दीर्घा में देख सकेंगे। अब पेंटिंग्स, परिधान, अस्त्र-शस्त्रों को भी अलग दीर्घा में दर्शाया जाएगा। यहां स्थित प्राचीन बावड़ी में फव्वारा दर्शकों को आकर्षित करेगा। इनके अलावा लाइट फिटिंग, रंगरोगन व अन्य आवश्यक कार्य भी होंगे।
एेसा है अपना संग्रहालय
कोटा संग्रहालय की स्थापना वर्ष 1946 में की गई थी। इसमें बड़वा से प्राप्त तीसरी शताब्दी के यूप स्तंभ, हाड़ौती की प्रतिमाएं, अस्त्र-शस्त्र, लघुचित्र प्रदर्शित हैं। आठवीं शताब्दी की त्रिभंग मुद्रा में सुर सुंदरी, 8वीं शताब्दी की शेषशायी विष्णु, 5वीं शताब्दी की झालरीवादक, मध्य पुरा पाषाण काल के उपकरण, 15से 19वीं शताब्दी के ग्रन्थ, 18 वीं-19वीं शताब्दी के अस्त्र-शस्त्र समेत कई पुरा महत्व की वस्तुएं संग्रहित हैं। संग्रहालय किशोर सागर तालाब के पास बृजविलास भवन में है। यह संरक्षित स्मारक है। संग्रहालय एवं पुरातत्व विभाग के वृत अधीक्षक उमराव सिंह ने बताया कि संग्रहालय का कायाकल्प किया जा रहा है। अधिकतर कार्य पूरा कर लिया है, शेष कार्य भी पूरा कर दिसम्बर से संग्रहालय को दर्शकों के लिए खोलने के प्रयास हैं।