अन्नकूट पर
कोटा के राजाओं ने दलितों के साथ किया ऐसा बर्ताव, सन्न रह गया हर कोईअंधेरे में डूबे समाज को दिखाई रोशनी की राह छबड़ा पुलिस ने इस बार खाकी को देखने का नजरिया बदलने की ठानी थी। इसके लिए दिवाली से ज्यादा बेहतर और दूसरा मौका कौन सा हो सकता था। मन में भरी खटास को मिठाई खिलाकर बड़ी आसानी से दूर किया जा सकता था। वहीं दिल में बसे अंधेरों को खत्म करने के लिए आतिशबाजी का भी पूरा इंतजाम था। छबड़ा पुलिस ने समाज से पूरी तरह कटे गरीबों और जरूरतमंद लोगों के साथ इस बार दीपोत्सव की खुशिया बांट एक अनूठी मिसाल पेश की।
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बच्चों के साथ की आतिशबाजी, बांटी मिठाइयां छबड़ा थाने के सीआई शगुन सिंह के साथ पूरे थआने का जाप्ता और आएसी के जवानों ने गड़िया लुहारों के साथ-साथ सड़क पर ही गुजर-बसर करने वाले लोगों के साथ दिवाली मनाई। छबड़े कस्बे की कोर्ट रोड, तहसील के सामने व स्टेशन रोड पर सड़क किनारे रहने वाले व फुटपाथ पर बसर करने वाले गाड़ियां लोहार व कचरा बीनने वाले एवं फेरी लगाकर जीवन यापन करने वाले बच्चों और महिलाओं पुरुषों के साथ छबड़ा पुलिस के जाप्ते को दीवाली की खुशियां बांटते देख हर कोई दंग रह गया। वहीं बच्चे पटाखे, मिठाइयां और उपहार पाकर खुशी से झूम उठे। बड़े-बजुर्ग और महिलाओं को जब पुलिस वालों ने उपहार और मिठाइयां दी तो उनकी आंखें छलक उठीं। उनकी जिंदगी में यह पहला मौका था जब पुलिस की दिलदारी देखने को मिली थी।
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खाकी की तारीफों से गूंजा कस्बा पुलिस के प्रति आम सोच से हटकर गरीब और बेसहारा लोगों के साथ पुलिस वालों को दिवाली का उत्सव मनाते देख पूरा छबड़ा कस्बा खुशी से झूम उठा। छबड़ा थाने के सीआई सुगन सिंह व पुलिस कर्मियो ने मानविय संवेदना और सामाजिक सरोकार की अनुठी मिशाल की पूरे दिन कस्बे में चर्चा होती रही। जब सीआई शगुन सिंह से इस अनूठी पहल के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पुलिस वाले भी इंसान होते हैं। त्यौहार पर ड्यूटी करने की वजह से जब वह अपने घर नहीं जाते तो जिन लोगों की सुरक्षा में जुटे हैं वही उनका परिवार हो जाता है। ऐसे में समाज का वह हिस्सा जो त्यौहारी खुशियो से कोशो दूर है उनके साथ अपनी खुशियां बांटने से न सिर्फ पुलिस की छवि बदलती है, बल्कि लोगों को पता चलता है कि कड़क खाकी के पीछे एक रहम दिल इंसान भी रहता है। बस इसी सोच के साथ इसबार पुलिस ने दिवाली का त्यौहार मनाया है।