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Kota University: मौत के बाद दर्ज हुई नियुक्तियों में फर्जीवाड़े की रिपोर्ट, पूर्व कुलपति समेत 18 नामजद

एसीबी ने कोटा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति समेत 18 लोगों के खिलाफ ‘बहू-बेटों’ को फर्जी तरीके से नौकरी देने की रिपोर्ट दर्ज

कोटाOct 27, 2017 / 06:56 am

​Vineet singh

kota Univarsity

ACB lodged FIR in case Of kota university appointments fraud

कोटा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. मधुसूदन शर्मा और बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट के के सदस्य डॉ. एलके दाधीच समेत 18 लोगों के खिलाफ एसीबी ने शिक्षकों और विश्वविद्यालय अधिकारियों की नियुक्तियों में फर्जीवाड़ा कर ‘बहू और बेटों’ को नौकरी देने की रिपोर्ट दर्ज की है। 4 साल तक चली जांच के बाद एसीबी ने फर्जी तरीके से नियुक्तियां पाने वाले शिक्षकों और विश्वविद्यालय के अधिकारियों के खिलाफ भी रिपोर्ट दर्ज की है। राजस्थान पत्रिका ने इस फर्जीवाड़े का खुलासा किया था, लेकिन कोटा विश्वविद्यालय उसके बाद से ही आरोपियों को बचाने की कोशिशों में जुट गया था।
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विधानसभा में हुआ कार्रवाई का खुलासा

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने वर्ष 2013 में कोटा विश्वविद्यालय में हुई शिक्षकों और अधिकारियों की भर्तियों में गड़बड़ी करने के आरोप में तत्कालीन कुलपति प्रो. मधुसूदन शर्मा समेत इस फर्जीवाड़े में शामिल 18 लोगों खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। यह जानकारी सरकार ने विधानसभा में भाजपा सदस्य प्रताप सिंह सिंघवी के सवाल के लिखित जवाब में दी है। सरकार ने विधानसभा में बताया कि कोटा विश्वविद्यालय में ‘बेटे-बहुओं’ को फर्जी तरीके से नियुक्तियां देने के इस मामले में 18 लोगों को नामजद किया गया है।
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मौत के 4 महीने बाद दर्ज हुई एफआईआर

कोटा विश्वविद्यालय में ‘बहू-बेटों’ को फर्जी तरीके नौकरी देने के मामले में 4 साल तक जांच चली। विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपनी जांच में सभी आरोपियों को क्लीन चिट दे दी, लेकिन जब मामला विधानसभा में उठा तो सरकार ने दो उच्च स्तरीय कमेटियां गठित कीं। इन कमेटियों ने कोटा विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रो. मधुसूदन शर्मा समेत चयन समितियों और प्रबंध मंडल के सदस्यों को फर्जीवाड़े का आरोपी माना। कुलपति प्रो. मधुसूदन शर्मा पर अपने बेटे डॉ. विपुल शर्मा और बोम सदस्य डॉ. एलके दाधीच पर अपनी बहु डॉ. शिखा दाधीच को फर्जी तरीके से नियुक्तियां देने का आरोप है। जांच के दौरान डॉ. दाधीच की इसी साल मार्च में मृत्यु हो गई। हालांकि एसीबी ने इसके बाद भी उनके खिलाफ मामला दर्ज किया है।
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नौकरी पाने वालों को भी किया नामजद

एसीबी फर्जी तरीके से नौकरी देने वालों के साथ ही नौकरी हासिल करने वालों को भी आरोपी बनाया है। इस नियुक्ति प्रक्रिया के जरिए कोटा विश्वविद्यालय में नौकरी हासिल करने वाले एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. भवानी सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. घनश्याम शर्मा, कुलपति प्रो. मधुसूदन शर्मा के बेटे और उपकुल सचिव डॉ. विपुल शर्मा, डॉ. एलके दाधीच की बहू और सहायक कुलसचिव शिखा दाधीच, डॉ. प्रतिभा, परीक्षा नियंत्रक प्रवीण भार्गव, बिना पद के नियुक्ति पाने वाली उपकुल सचिव डॉ. जोली भण्डारी और प्रोक्टर चक्रपाणि गौतम के साथ-साथ सहायक कुलसचिव हनुमान सिंह शक्तावत, सहायक कुलसचिव ब्रजमोहन मीना, सहायक कुलसचिव राकेश राव , कनिष्ठ अभियंता संजीब दुबे, वरिष्ठ तकनीकी सहायक पायल दीक्षित और वरिष्ठ वरिष्ठ तकनीकी सहायक रोहित नंदवाना को भी एसीबी ने नामजद किया गया है।
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पत्रिका ने किया था फर्जीवाड़े का खुलासा

राजस्थान पत्रिका ने 14 फरवरी 2013 को ‘खुले लिफाफे निकले बहू-बेटे’ शीर्षक से खबर प्रकाशित कर कोटा विश्वविद्यालय की नियुक्तियों में हुए इस फर्जीवाड़े का खुलासा किया था। इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन, उच्च शिक्षा विभाग और राजस्थान सरकार ने इस मामले को चार साल तक दबाने की कोशिश जिनका www.patrika.com लगातार खुलासा करता रहा। जिसके चलते मामला विधानसभा में उठा और सरकार को मजबूरन अपने कदम पीछे खींचने पड़े। जिसके बाद आखिरकार एसीबी मुख्यालय ने 2 अगस्त 2017 को प्राथमिक जांच के बाद एफआईआर करने के निर्देश जारी कर दिए। नियुक्तियों में फर्जीवाड़े के इस हाईप्रोफाइल मामले की जांच एसीबी की स्पेशल सेल कर रही है।

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