वर्ष 1995-96 में अंजनहिल भूमिगत खदान बरतुंगा खुली थी। इसमें रोजाना 3 हजार टन कोयले का उत्पादन होता था और करीब 3 हजार से अधिक अधिकारी व कर्मचारी कार्यरत थे। वर्ष 2010 में 6 मई को हादसा हुआ। इसमें जीएम ऑपरेशन, 5 इंजीनियर सहित 15 अधिकारी-कर्मचारियों की मौत हो गई थी।
ओपन कास्ट प्रोजेक्ट बनाने का भेजा गया था प्रस्ताव
अंजनहिल खदान को वर्ष 2017 में अधिकृत रूप से ताला लगाने का निर्णय लिया गया है। वहीं एसइसीएल चिरमिरी क्षेत्र के अनुसार भूमिगत खदान को ओपन कास्ट परियोजना के रूप में दोबारा शुरू करने के लिए हेड क्वार्टर को प्रस्ताव भेजा गया था।
अंजनहिल कोयला खदान में बड़ा हादसा हुआ, उस समय खदान नंबर-३ संचालित थी। इसका मुहाना दूसरे तरफ से खुलता था। हादसे के बाद खदान नंबर-3 को भी बंद कर दिया गया था। मामले में एसईसीएल के ग्लोबल टेंडर के हिसाब से अब अंजनहिल और बरतुंगाहिल दो खदानें खुलेंगी। अंजनहिल की खदान नंबर-3 बरतुंगा हिल खदान के नाम से खुलेगी।
जारी हुआ है ग्लोबल टेंडर
ग्लोबल टेंडर हुआ है। इसमें जो भी कंपनी इच्छुक होगी। यहां आने के बाद देखकर रेट तय होगा। उसके बाद फाइनल होने के बाद ही यह माइंस शुरू होगी।
घनश्याम सिंह, महाप्रबंधक एसइसीएल चिरमिरी
अंडर ग्राउंड ही संचालित होगा माइंस
मैनेजमेंट के अनुसार अंजहिल खदान (Anjanhill coal mines) से आग को निकालकर ओपन कॉस्ट चलाने का विचार था। लेकिन ऊपर से अंडर ग्राउंड चलाने के लिए परमिशन आया है तो अंडरग्राउंड ही चलाया जाएगा। बरतुंगा में एक सिम था, जिसका कनेक्शन अंजनहिल माइंड की तरफ था। इस कारण बरतुंगा माइंस को बंद कराया गया था। उसे भी मैनेजमेंट शुरू करने का विचार किया है। दुर्घटना के समय बरतुंगा हिल को भी बंद कराया गया था, ताकि अंजनहिल खदान की आग और गैस इस माइंस तक ना पहुंच सके।
लिंगराज नाहक, सदस्य एसइसीएल कल्याण बोर्ड बिलासपुर