तट कटाव की समस्या को लेकर केन्द्र और राज्य सरकार के बीच समन्वय का अभाव सामने आता है। केन्द्रीय प्रतिनिधियों के मुताबिक जलशक्ति मंत्रालय की ओर से आयोजित की जाने वाली बैठकों में राज्य के प्रतिनिधि हिस्सा लेने से कतराते हैं। वहीं राज्य से जुड़े प्रतिनिधि कहते हैं कि समस्या के समाधान को लेकर केन्द्र गंभीर नहीं है। इन सबके बीच हजारों पीडि़त हर साल अपनी जमीन, घर गंगा की भूखी लहरों में गंवा कर घरविहीन हो जा रहे हैं।
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हर साल करोड़ों का वारा न्यारा
समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार गंभीर नहीं है। न तो राज्य ने कोई योजना बनाई है और न ही केन्द्र सरकार से सहयोग चाहती है। हर साल कटाव के बाद आपातकालीन कदमों के तहत करोड़ों का वारा न्यारा कर दिया जाता है। फिर वही ढाक के तीन पात वाली स्थिति हो जाती है। कटाव रोकने के लिए सूखे महीनों में काम होना चाहिए। पीडि़तों के मुआवजे में भी अनियमितता बरती जा रही है।
खगेन मुर्मु सांसद उत्तर मालदह
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केन्द्र सरकार गंभीर नहीं
गंगा तट कटाव अकेले बंगाल की समस्या नहीं है। राष्ट्रीय समस्या है। इसके समाधान को लेकर केन्द्र सरकार गंभीर नहीं है। हर साल सितम्बर महीने में जिले का बड़ा इलाका बाढ़ का शिकार बनता है। केन्द्र सरकार को लाखों लोगों की समस्या के स्थाई समाधान का रास्ता तैयार करना चाहिए। राज्य सरकार पीडि़तों के पास खड़ी है। उन्हें मुआवजा, राहत वितरित होती है। अनियमितता के आरोप आधारहीन हैं।
मौसम नूर, पूर्व सांसद उत्तर मालदह व तृणमूल जिलाध्यक्ष