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खरगोन

पांच सहेलियों की मेहनत रंग लाई : घर में तैयार कर रही एलोविरा, नींबू, चंदन और गुलाब फ्लेवर के साबुन

पांच सहेलियों के परिश्रम को सार्थक कर रही है, जिन्होंने आत्मनिर्भर बनने के लिए खुद का स्टार्टअप लिया है।

खरगोनJan 21, 2022 / 02:54 pm

Subodh Tripathi

पांच सहेलियों की मेहनत रंग लाई : घर में तैयार कर बेच रही एलोविरा, नींबू, चंदन और गुलाब फ्लेवर के साबुन

पांच सहेलियों की मेहनत रंग लाई : घर में तैयार कर बेच रही एलोविरा, नींबू, चंदन और गुलाब फ्लेवर के साबुन

खरगोन. लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती। हौसला अफजाई की यह रचना चूल्हा-चौका व मजदूरी करने वाली जामली की उन पांच सहेलियों के परिश्रम को सार्थक कर रही है, जिन्होंने आत्मनिर्भर बनने के लिए खुद का स्टार्टअप लिया है। दरअसल जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर ग्राम जामली की ज्योति चौहान, रंजना चौहान, शीतल चौहान, अलका चौहान, अन्नपूर्णा चौहान और ममता निर्गुडे ने खुद की साबुन फैक्ट्री तैयार की है। यहां एलोविरा, नींबू, गुलाब व चंदन के मिश्रण से साबुन प्रोडक्ट तैयार कर उसे बाजार में बेचा जा रहा है।

महिलाएं घर पर ही तैयार कर रही है साबुन

रंजना चौहान बताती हैं कि काम करने के लिए एक फर्म की जरूरत पड़ी। इसके लिए उन्होंने सखी सहेली नाम से समूह बनाया। शुरुआत पापड़ बनाने से की। लेकिन यह मिशन सक्सेस नहीं हुआ। इसके बाद महिलाओं ने वैसलिन व विक्स तैयार किया, मेहनत इसमें भी रंग नहीं लाई। महिलाओं ने हार नहीं मानी। और साबुन बनाने का आइडिया आया। इस उधेड़बून के बीच लॉकडाउन ने परीक्षा ली। आर्थिक तंगी ने विश्वास तोड़ा। महिलाओं ने राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से 75 हजार रुपए का लोन लिया। यहां से उन्हें साबुन बनाने का प्रशिक्षण भी दिया। दक्ष होने के बाद महिलाओं ने कारोबार शुरू किया। पांच अन्य महिलाओं को भी समूह में जोड़ा है।

 

अहमदाबाद से बुलाया रॉ मटेरियल

समूह की सचिव ज्योति चौहान, अध्यक्ष रंजना चौहान ने बताया ट्रेनिंग लेने के बाद समूह को आजीविका मिशन से 75 हजार रुपये स्वीकृत हुए। राशि मिलने के बाद महिलाओं ने नई उम्मीद के साथ काम शुरू किया। इसके लिए उन्होंने अहमदाबाद से सेंट, ग्लिसरीन, सांचे, कलर, गन मशीन (पेकिंग के लिए) सामान ऑर्डर की सामग्री मिलते ही काम शुरू किया।

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अभी स्टॉल लगाकर बेचती हैं साबुन

ग्रुप की शीतल चौहान, अलका चौहान, अन्नपूर्णा चौहान, ममता निर्गुडे ने बताया कि 1 वर्ष पहले ही साबुन का काम शुरू किया है। शासकीय आयोजनों में स्टॉल लगाकर बेच रहे हैं। सचिव ज्योति ने प्रशासन से मांग की है कि यदि समूह की साबुन सरकारी कार्यालयों में पहुंचाई जाए तो उन्हें आर्थिक मदद होगी।

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