शहर में कोई भी निर्माण नगर निगम की अनुमति से होता है। एेसे में निगम के पास जानकारी तो अपडेट हो ही जाती है। फिर इसकी सूचना राजस्व विभाग को क्यों नहीं मिलती? और अगर मिलती है तो कई मकान टैक्स से क्यों छूटे हुए हैं? जानकारों का कहना है कि इस दिशा में निगम को सही कदम उठाना चाहिए।
32 हजार मकान फिलहाल हैं दर्ज
36 हजार संपत्ति दर्ज होने का आंकलन
500 से पांच हजार स्क्वेयर फीट तक का मिला अंतर
50 वार्डों में निगम के राजस्व अमले ने सर्वे पूरा किया
28 सहायक राजस्व निरीक्षक और उनके सहयोगियों ने किया सर्वे
06 करोड़ रुपए संपत्ति कर बनता है अभी
30 फीसदी इजाफा होने की अब है उम्मीद
04 संपत्ति बढऩे का प्राथमिक आंकड़ा आया सामने
80 फीसदी डाटा कम्प्यूटर में कर दिया गया है फीड
1.90 करोड़ रुपए से ज्यादा का बढ़ सकता है राजस्व
– मकान बनने के दो साल तक भी संपत्ति कर नहीं वसूला गया
– मकान में दुकान (व्यसायिक उपयोग) होने के बाद भी घरेलू टैक्स वसूल रहे
– कई घरों में किराएदार रह रहे हैं लेकिन लोग खुद के अवास पर मिलने वाली छूट का लाभ ले रहे हैं
– पूर्व की संपत्ति की विवरणियों की हुई जांच
– सीमांकन कर वास्तविक संपत्ति नए विवरणी पत्रक में भरवाई
– भवनों का संपत्तिकर निर्मित क्षेत्रफल के आधार पर प्राप्त किया गया
– आवासीय और व्यवसायिक तथा गैर आवासीय भवनों की जांच की गई
राजस्व व जनकार्य तथा उद्यान विभाग का सामंजस्य रहता है। एेसे मामले ज्यादा सामने आए हैं जहां बगैर परमिशन निर्माण हो गया है। एमआईसी के निर्णय के अनुसार, एेसे लोगों से तीन साल का टैक्स वसूलेंगे।
जेजे जोशी, आयुक्त, ननि