ओंकारेश्वर सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देवजी की 553वीं जयंती प्रकाश पर्व के रूप में मनाई जा रही हैं। 12 ज्योतिर्लिंग में से एक ओंकारेश्वर में श्री गुरुनानक देव जी आए थे। इसी स्थान पर श्री गुरुनानक देवजी ने इक ओंकार सत नाम… (ek onkar satnam) का अलख जगाया था। यहां प्राचीन ऐतिहासिक गुरुद्वारा भी है।
गुरुद्वारे के सेवा धारी ग्रंथी ज्ञानी मनजीत सिंह सोढ़ी ने बताया कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानकदेव महाराज अपनी दूसरी यात्रा के दौरान 505 साल पहले बुरहानपुर, ओंकारेश्वर आए थे। जहां उन्होंने शबद सुनाया वहां ऐतिहासिक महत्व के गुरुघर बन गए। उनके 1517 में आगमन का उल्लेख पुरातन ग्रंथ गुरु खालसा में मिलता है। यहां ओंकार वाणी का उच्चारण किया, जिसे बाद में गुरु ग्रंथ साहिब में लिखा गया।
सिर पर मारा हथौड़ा, दो बाइक को हाथों से रोक दिया, देखें हैरतअंगेज VIDEO
प्रकाशोत्सव पर कीर्तन
श्री गुरुनानक देवजी का 553वां प्रकाशोत्सव आज मनाया जा रहा है। गुरुद्वारा श्री गुरुसिंघ सभा में मंगलवार को सुबह से लेकर देर रात तक धार्मिक आयोजन होंगे। सुबह 7.30 से 8 बजे तक श्री सहज पाठ साहिब संपूर्णता के बाद ज्ञानी जवाहरसिंघ हजूरी जत्था, ज्ञानी सुरजीतसिंघ पंजाब कॉलोनी, ज्ञानी करतारसिंघ आनंद नगर द्वारा कीर्तन किया जाएगा। साथ ही गुरमत विचार ज्ञानी जसवीरसिंघ राणा द्वारा किया जाएगा। दिल्ली से आए रागी जत्था जसपालसिंघ द्वारा भी कीर्तन होगा। सुबह 11 से शाम 4 बजे तक गुरु का अटूट लंगर होगा। शाम को भी कथा, कीर्तन, गुरमत विचार होगा। रात को आतिशबाजी कर गुरुनानक देवजी का प्रकाशोत्सव की संपूर्णता होगी।