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भाजपा सरकार ने साल 2015 में जंगल सफारी की शुरूवात की थी। कान्हा के तर्ज पर यहां जिप्सी का संचालन किया गया था। करीब 3 साल यह सफारी चला। इस बीच भोरमदेव अभयारण्य क्षेत्र में नक्सली आमदगी व दो तीन पुलिस-नक्सली मुठभेड़ के चलते पर्यटकों की सुरक्षा के लिहाज से बंद कर दिया गया था, क्योंकि कभी भी मुठभेड़ के चलते बड़ी अनहोनी हो सकती थी।
सुरक्षा से किसी तरह से कोई समझौता न करते हुए तत्काल सरकार ने इसे बंद करने का निर्णय लिया था। जो उस समय की परिस्थितियों के लिहाज से सही भी था। लेकिन इन पांच-छह सालों में भोरमदेव अभयारण्य की स्थिती परिस्थिति बदली है।
पुलिस की लगातार प्रभावी कार्रवाई से नक्सली बैकफूट पर हैं। अब इन क्षेत्रों में शांति बनी हुई है। पुलिस की पहुंच है, क्षेत्र सुरक्षित है नक्सलियों का जरा भी प्रभाव नहीं है। झलमला थाना, भोरमदेव थाना, सीएएफ कैंप खुलने से नक्सलियों के मंसूबे नाकाम हो गए हैं। अब वे इस क्षेत्र में दोबारा सिर उठाने की स्थिती में नहीं है। ऐसे बदले माहौल में पर्यटकों को सुविधा देने के लिहाज से एक बार फिर जंगल सफारी शुरू करने की कवायद की जानी चाहिए। प्रशासन भी इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। हालांकि निर्णय शासन स्तर पर ही होना है।