मंदिर की ख्याति भी बढ़ती गई, किन्तु कुछ वर्षों से दिव्य पंचमुखी शिवलिंग में अनवरत हाथों के स्पर्श से शिवलिंग का क्षरण होने लगा। पांच मुख वाले इस शिवलिंग में एक मुख का लगभग क्षरण हो चुका है और दूसरे पर भी तेजी से क्षरण हो रहा है। पांचों मुखों की आकृति के विलोपित होने की संभावना है। ऐसे में इसके सरंक्षण को लेकर पहल की गई। इस पर तांबे का कव्हर लगाया गया, ताकि श्रद्धालु इसे ऊपर से ही स्पर्श कर सके।
जलाभिषेक स्थान
महाशिवरात्रि और श्रावण मास में माहभर यहां श्रद्धालुओं की कतार लगी रहती है। मेला सा माहौल रहता है। लंबी कतार के बाद श्रद्धालुओं को शिवलिंग के दर्शन प्राप्त हो पाते हैं। स्थानीय लोगों के साथ-साथ श्रद्धालु व भक्त दूर-दूर से भी पहुंचते हैं। श्रावण मास में तो कांवरियों का प्रमुख जलाभिषेक स्थान बूढ़ा महादेव ही रहता है। मुख्य रूप से सोमवार को भोर सुबह से ही यहां पर श्रद्धालुओं की कतार लग जाती है।