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बारिश के मौसम में होगी परेशानी
ग्रामीणों की माने तो गांव के अंदर सुविधाघर का निर्माण होता देख वो सब मन ही मन बहुत खुश हो रहे थे कि अब खुले में शौच के लिये नही जाना पड़ेगा। उससे छुटकारा मिलेगा लेकिन उन की खुशी कुछ माह के लिये ही थी जर्जर हो चुके सुविधाघर के कारण मजबूरन उन्हे खुले में शौच जाना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया है कि अभी बरसात के मौसम में गांव देहात में बाहर खुले में शौच के लिये जाना परेशानी के साथ साथ खतरनाक होता है इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों मे सर्पदंश की ज्यादा घटना घटती है। अन्य दिक्कतों के चलते भी लंबी दूरी तय कर निर्जन इलाकों की खोज करनी पड़ती है। अथवा सूनसान इलाकों का रूख करना पड़ता है जो काफी खतरनाक है।
जिम्मेदारों की भूमिका पर उठ रहे सवाल
पंचायत स्तर पर पर होने वाले निर्माण कार्य चाहे वो सरकारी हो अथवा हितग्राही मूलक बेहतर और गुणवत्ता पूर्वक हो इसकी पूरी पूरी जवाबदारी स्थानीय पंचायत के सरपंच सचिव रोजगार सहायक की होती है ये अपने जवाबदारी और देखरेख की भूमिका से मुकर नही सकते। लेकिन सुविधाघर निर्माण में सारा दोष हितग्राही के ऊपर ही आ रहा है। क्योंकि हितग्राही भोले भाले होने के साथ साथ अशिक्षित और जानकार नही है। ऊपर बैठे जवाबदार भी नीचे स्तर से भेजे गये कागजी जानकारी को सही मान लेते है। कभी ये जमीनी हकीकत जानने का प्रयास भी नही करते जानकारी होने के बाद भी जिम्मेदार पदाधिकारी पर ठोस कार्यवाही नही करते यही कारण है कि गावँ के दर्जनों परिवार बड़े बूढे महिलाएं, बच्चे जवान सभी एक अदद साफ सुथरे सुविधाघर को मोहताज है। पूरे जनपद पंचायत की ग्राम पंचायतों में बने सुविधाघर की स्थिति ऐसी ही है। सुविधाघर जमीदोज होने की स्थिति में पहुंच रहे है। गांव को कागजों मे ही खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया व ओडीएफ होने का प्रमाण पत्र ले लिया गया है।
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इनका कहना है
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के आदेशानुसार वर्तमान मे जनपद की ग्राम पंचायतों मैं सुविधा घरों का सत्यापन स्वच्छताग्राहियो के द्वारा किया जा रहा है।साथ ही सुविधा घरों का उपयोग करने हितग्रहियों को समझाइश भी दी जा रही। किन किन पंचायतो में सुविधा घर गुणवत्ता हीन बने रिपोर्ट मिलते है। उन पंचायतो पर कारवाई की जाएगी।
शिवानी जैन, जनपद सीईओ बहोरीबंद।