दूसरी ओर जांच टीम ने मिल में 86 सौ बोरी धान होना बताकर फर्म को क्लीनचिट दे दी। जानकार बताते हैं कि मिल में जो धान दिखाई गई क्या जांच टीम ने इस बात की पुष्टि की थी कि धान वही है जो उबरा, हथियागढ़, बचैया और सिहुड़ी केंद्र से 3 हजार 464 क्विंटल प्राप्त करना स्वीकार किया गया था। क्या जांच टीम ने किसान कोड और धान का मिलान किया। दूसरी ओर इस मामले में नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के कटनी डीएम मधुर खर्द से जानकारी लेने पर वे उल्टे ही सवाल करने लगे कि पत्रिका के पास जांच प्रतिवेदन कहां से आ गई।
इन सबके बीच एक सवाल यह भी उठ रहा है कि 8 करोड़ 31 लाख रुपए के धान घोटाले में 7 मिलर और 15 समितियों की भूमिका संदिग्ध है। इस मामले मेंं 6 मिलर पर एफआइआर के बाद अब एक मिलर पर एफआइआर नहीं होने और 15 समितियों की जांच की धीमी गति पर सवाल उठ रहे हैं। समितियों की जांच को लेकर नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंधक मधुर खर्द बताते हैं कि इस बारे में सहकारिता विभाग के अधिकारी जानकारी देंगे।
ये रिश्ता क्या कहलाता है…
माधवनगर थाने में आरोपियों पर फिर नहीं लगाई दो धाराएं –
8 करोड़ 31 लाख रुपए से ज्यादा की धान खरीदी में एक बार फिर माधवनगर पुलिस की मनमानी सामने आई। जांच टीम ने 14 फरवरी को दो थानों में तीन मिलर पर एफआइआर करवाई। इसमें कैमोर थाने में आरोपी योगेंद्र उरमलिया के खिलाफ धारा 420, 407 व 409 में मामला दर्ज किया गया, लेकिन माधवनगर थाने में दर्ज दो एफआइआर में आरोपी मेसर्स सियाराम इंडस्ट्रीज के लक्की रोहरा और मेसर्स वरुण इंडस्ट्रीज के गिरधारी लाल सेबलानी पर एक ही धारा 407 पर मामला दर्ज किया गया। इसके साथ ही अब चर्चा इस बात की भी है कि सभी 7 मिलर ने एक ही तरह की गड़बड़ी की थी फिर जय श्री कृष्णा इंडस्ट्रीज को क्लीनचिट कैसे दे दी गई।
इस बारे में एसपी सुनील जैन ने बताया कि मुझे 16 फरवरी को ही पता चला कि माधवनगर थाने में दो एफआइआर में आरोपियों पर धाराएं कम लगी है। मैने निर्देश दिए हैं। अब थानों में दर्ज सभी एफआइआर में आरोपियों के खिलाफ धारा 407, 409 और 420 पर प्रकरण दर्ज विवेचना की जा रही है।