नगर निगम आयुक्त ने विकास शुल्क वसूली के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना बनाई है। इसके लिए शिविर लगाए जाएंगे। नगर निगम के अधिकारी-कर्मचारी कॉलोनियों में शिविर लगाकर रहवासियों से शुल्क वसूलेंगे। 50-50 का फॉर्मूला चलेगा। तय गाइडलाइन के अनुसार, विकास शुल्क का 50 प्रतिशत हिस्सा रहवासियों से वसूला जाएगा, जबकि शेष 50 प्रतिशत कॉलोनाइजर या संबंधित डिवेलपर से वसूल किया जाएगा या फिर नगर निगम वहन करेगा। वसूले गए शुल्क का रिकॉर्ड डिजिटल रूप से सुरक्षित किया जाएगा, जिससे संपत्तियों की सटीक जानकारी प्राप्त होगी।
इस योजना से नगर निगम को करोड़ों रुपए के राजस्व की प्राप्ति होगी। यह राजस्व शहर के बुनियादी ढांचे के विकास में उपयोग किया जाएगा। शहर में नई सडक़ों का निर्माण, ड्रेनेज सिस्टम की मरम्मत और विस्तार, स्ट्रीटलाइट की व्यवस्था, पानी की आपूर्ति प्रणाली को मजबूत करना आदि का काम हो सकेगा।
रहवासियों को विकास शुल्क जमा करने के कई फायदे मिलेंगे। वैध कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाओं पर काम होगा। नगर निगम से क्षेत्र में बिजली, पानी, सडक़, और नाली जैसी सुविधाओं की मांग कर सकेंगे। संपत्तियों का कानूनी दर्जा मिलने से उनकी बाजार कीमत में वृद्धि होगी। नगर निगम ने अवैध कॉलोनियों को वैध करने के लिए एक मानक प्रक्रिया अपनाई। कॉलोनियों के दस्तावेजों की जांच, लेआउट प्लान का सत्यापन और विकास शुल्क की गणना इस प्रक्रिया का हिस्सा थे। वैधता प्राप्त करने के बाद, अब इन कॉलोनियों के रहवासियों से शुल्क वसूला जाएगा।
नगर निगम को इस योजना के क्रियान्वयन के लिए कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। कुछ लोग शुल्क जमा करने में असमर्थता जता सकते हैं। कॉलोनाइजर से 50 प्रतिशत शुल्क वसूलने के लिए कानूनी कार्रवाई का सहारा लिया जा सकता है। योजना की जानकारी सभी रहवासियों तक पहुंचाने के लिए व्यापक प्रचार अभियान चलाया जाएगा। नगर पालिक निगम की यह पहल शहर के विकास के लिए एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकती है। यह योजना न केवल नगर निगम के राजस्व में वृद्धि करेगी, बल्कि रहवासियों को बुनियादी सुविधाओं का लाभ भी प्रदान करेगी। नगर निगम की यह कार्ययोजना शहर को स्मार्ट बनाने की दिशा में एक मजबूत आधार प्रदान करेगी।
शहर में अवैध कॉलोनी बसाने वाले बिल्डर, कॉलोनाइजर को नियमानुसार विकास शुल्क चुका कर कॉलोनियों का नियमितीकरण भी कराना होगा। विकास शुल्क की राशि क्षेत्रवार तय की गई है। जिसमें 400 रुपए से 999 रुपए वर्गमीटर व कुछ कॉलोनियों में 46 रुपए से लेकर 90 रुपए प्रति वर्गफीट तक की राशि देय होगी। ये सभी कॉलोनियां 2016 के बाद विकसित की गई हैं। नगरनिगम अधिकारियों ने बताया कि शहर के अलग-अलग थानों में दस्तावेज के साथ शिकायतें दी गई थीं। पुलिस विभाग को प्रकरण दर्ज कर जांच करनी है। हालांकि यह मामला ठंडे बस्ते में है।
अनाधिकृत कॉलोनियों में अधोसंरचनात्मक विकास के लिए सरकार द्वारा विकास शुल्क की प्रक्रिया अपनाने कहा है। इसके लिए पहल शुरू हो गई है। लोग तय राशि का 50 प्रतिशत जमा कर करेंगे। शेष राशि नगर निगम वहन करेगी। नई बिल्डिंग परमीशन में विकास शुल्क अधिरोपित कर दी जा रही है, पूर्व में हुए निर्माण पर अब यह प्रक्रिया अपनाई जा रही है। अवैध कॉलोनियों में रहने वाले लोग इस प्रक्रिया को अपनाकर अपनी भूमि का क्रय विक्रय कर पाएंगे। शुल्क जमा कर एनओसी प्राप्त कर सकते हैं। कॉलोनाइजरों पर कार्रवाई के लिए गाइडालाइन का पालन किया जाएगा।
नीलेश दुबे, आयुक्त नगर निगम।