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ये है जंगलों में खास
कटनी जिले के जंगल में आधा दर्जन से अधिक उत्पाद भारी मात्रा में पाए जाते हैं। जंगल में मुख्य रूप से आंवाल, चिरायता, बेलगूदा, हर्रा, महुआ, चिरौंजी और मरोर फली की बहुतायत है, जिसका औषधि के क्षेत्र में विशेष महत्व है और बाजार में महंगे दाम पर ये औषधिया मिलती हैं।
ऐसे संरक्षित होगी वनोपज
वन विभाग ग्राम वन समितियों के माध्यम से वनोपज को संरक्षित करेगा। जरुरत पडऩे पर इसमें फ्लाइंग स्क्वायड और पुलिस की मदद ली जाएगी। वनोपज तैयार होने पर समितियां विभाग के माध्यम से ऑक्सन व सीधे बाजार में उपज बेचकर रुपए कमाएंगी। वनोपज के विक्रय से प्राप्त होने वाली रकम समितियों के पास रहेगी।
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गांव के विकास में होंगे खर्च
आंवला, चिरायता सहित अन्य जंगली उत्पादों से होने वाली आय जब अधिक मात्रा में हो जाएगी तो उसे गांव के विकास बिजली, पानी, सड़क, हरितक्रांति सहित वनों को संरक्षित करने में खर्च की जाएगी।
इनका कहना हैं
जिले के जंगल में कई ऐसी वन उत्पाद हैं जिसका लोग दोहन कर विभाग को नुकसान पहुंचा रहे हैं। अब इस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाएगा। इन उत्पादों को समितियों के माध्यम से विक्रय कर गांव और जंगल की सुरक्षा में खर्च किए जाएंगे। इसके लिए कार्ययोजना तैयार की गई है।
अजय कुमार पांडे, डीएफओ, कटनी