यह अपनाई जा रही प्रक्रिया
नगर निगम द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 का पुनरीक्षित एवं वित्तीय वर्ष 2024-25 का अनुमानित बजट मेयर इन काउंसिल की बैठक 21 फरवरी के अनुसार प्रस्ताव क्रमांक 2 में नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 97 के अनुसार तैयार बजट की स्वीकृति एवं अनुशंसा सर्वसम्मति से की गई थी। 16 मार्च को लोकसभा चुनाव लेकर आदर्श आचरण संहिता लागू होने के कारण प्रस्तावित बजट नगर निगम परिषद की बैठक में पेश नहीं हो पाया। वर्तमान में नियमित रूप से मासिक वेतन, मानदेय पारिश्रमिक, विद्युत बिल, डीजल-पेट्रोल, टेलीफोन एवं इंटरनेट, निर्वाचन कार्य आदि में राशि व्यय किया जाना नितांत आवश्यक है। अब समस्या सामने आने पर निगम द्वारा संचालनालय नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग को पत्र क्रमांक 14/ए/लेखा शाखा लिखकर अधिनियम 1956 की धारा 98 के तहत स्वीकृति के लिए भेजा है। बता दें कि प्रस्तावित बजट के अनुसार व्यय का लक्ष्य भी इसी के आसपास रखा गया है।
इस साल आए 20 करोड़
ननि को पिछले वर्ष की तुलना में इस साल 12 प्रतियात अधिक राजस्व की प्राप्ति हुई है। राजस्व अधिकारी जागेश्वर पाठक ने बताया कि पिछली वर्ष संपत्ति कर में 11 करोड़ 24 लाख रुपए आए थे, इस बार 12 करोड़ 27 लाख रुपए मिले हैं। पिछली साल जलकर में पौने तीन करोड़ आए थे, इस बार सवा चार करोड़ रुपए प्राप्त हुए हैं। सभी आय में नगर निगम आगे रहा है।
राजस्व में वृद्धि से बढ़ेगी बात
नगर निगम में विकास कार्यों को लेकर हमेशा बजट अभाव की स्थिति बनी रहती है। नगर निगम में पूर्व में कई एफडीआर थीं, जिनकों नगर निगम के तत्कालीन अधिकारियों ने कैश करा लिया है। अब राजस्व के साधन बढ़ाना नितांत आवश्यक हैं। इसमें शहर की संपत्तियों का सर्वे कराकर वास्तवित राजस्व वसूली करनी होगी, दुकानों का सही किराया वसूलना होगा व शत-प्रतिशत राजस्व वसूल करना होगा।
वर्जन
भाजपा शाषित नगर निगम जनता द्वारा किए वायदे को समय पर पूरा नहीं करा पा रही है। बजट जैसा महत्वपूर्ण विषय भी परिषद से पास नहीं कराया गया, यह नगर निगम की अक्षमता का प्रमाण है। नगर निगम में समय पर कोई काम नहीं हो रहा है। बजट कम करने से शहर में विकास कम होंगे।
मिथलेश जैन, कांग्रेस पार्षद।
वर्जन
बजट एमआइसी से स्वीकृत हो गया है, लेकिन लोकसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता प्रभावशील हो जाने के कारण परिषद से स्वीकृति नहीं हो पाई। बजट स्वीकृत न होने से भुगतान आदि में समस्या हो रही है। शासन को पत्र लिखकर स्वीकृति मांगी गई है।
विनोद शुक्ला, आयुक्त नगर निगम।