जानकारी के अनुसार खरीदी केंद्रों में किसान से धान खरीदने के बाद समिति प्रबंधक/ऑपरेटर खरीदी ऑनलाइन दर्ज करता है। रेडी टू ट्रांसपोर्ट होने के कारण धान का परिवहन होता है। गोदाम में धान पहुंचने के बाद वेयरहाउस कार्पोरेशन द्वारा दस्तावेज नान कार्यालय भेजे है। नान कार्यालय से स्वीकृत पत्रक बनाए जाते है। इसके बाद भोपाल से ईपीओ जनरेट होते है। ये ईपीओ समिति प्रबंधक के पास ऑनलाइन प्रदर्शित होते है और समिति प्रबंधक द्वारा इसे वेरीफाइ किया जाता है। इसके बाद नान कार्यालय से वेरीफाइड कर भोपाल भेजा जाता है। इसके बाद भुगतान होता है।
खरीदी केंद्रों में किसानों से धान तो खरीद ली गई है लेकिन इसका परिवहन नहीं हो रहा है। परिवहन धीमा होने के कारण स्वीकृत पत्रक नहीं बन पा रहे है और भुगतान की प्रक्रिया धीमी हो गई है। जिले में अबतक 44695 किसानों से 863.43 करोड़ सरकारी कीमत की 375405 मीट्रिक धान खरीदी जा चुके है, इसमें से सिर्फ 402.93 करोड़ का भुगतान हुआ है। हजारों किसानों को 460.50 करोड़ का भुगतान अटका है।
अफसरों का दावा है कि जिले में 4 परिवहन ठेकेदारों के माध्यम से परिवहन किया जा रहा है तो वहीं 65 मिलर्स भी अनुबंध के अनुसार परिवहन कर रहे है। इसके अलावा दो समितियां भी परिवहन कर रही है। परिवहन में प्रतिदिन 400 से ज्यादा ट्रक लगे हुए हैं और प्रतिदिन 1.25 लाख ङ्क्षक्वटल धान गोदामों तक पहुंचाई जा रही है लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर नजर आ रही है। केंद्रों में अभी भी लाखों ङ्क्षक्वटल धान खरीदी की रफ्तार धीमी होने के बाद भी रखी हुई है।
महीना बीता फिर भी नहीं आई राशि
ढीमरखेड़ा तहसील क्षेत्र के किसान किसान प्रदीप चौरसिया, रामकुमार, ज्ञान सिंह, कोदुलाल, रंजीत कुमार, पुरुषोत्तम सिंह, पंकज कुमार, विनोद तिवारी सहित अन्य किसानों ने बताया कि केंद्रों में धान की उपज का उठाव नहीं होने से फसल का अंबार लगा है। उपज की तौलाई होने के बाद भी किसानों के खातों में राशि नहीं पहुंची हैं। गेहूं, चना व मटर की फसल की पैदावार के लिए भी किसान को रुपयों की आवश्यकता है लेकिन महीने भर से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी धान खरीदी की राशि न मिलने के कारण किसानों को दिक्कत हो रही है।
भारतीय किसान संघ के महामंत्री आशीष चौरसिया की मानें तो धान के भुगतान में हो रही देरी से अगली फसल प्रभावित हो रही है। क्योंकि उनको फसल में खाद, कीटनाशक डालने के लिए रुपयों की जरूरत है, लेकिन समय पर उनको राशि नहीं मिलने से बेहद परेशानी हो रही है। धान बेचकर किसान प्राप्त रकम से रबी फसल में खर्च करते है। वही पूर्व सीजन के दौरान हुए खर्च का हिसाब करने के लिए किसानों को धान बेचने के बाद रकम आने का इंतजार होता है पर धान बेचने के बाद खाते में भुगतान की राशि नहीं आने की वजह से किसानों की अर्थव्यवस्था प्रभावित होने लगी है।
बूंदाबांदी से घबराए किसान, खुले में पड़ी धान
रविवार को सुबह से ही आसमान में बादल छाए रहे और हल्की बूंदाबांदी शुरू हुई। बारिश शुरू होते ही खरीदी केंद्रों में खुले में पड़ी धान को लेकर किसान परेशान हो गए और बिना तौल रखी हुई धान को सुरक्षित करने में जुट गए। बहोरीबंद तहसील क्षेत्र के सिहुंड़ी खरीदी केंद्र में परिवहन न होने के कारण किसान व खरीदी केंद्र प्रभारी परेशान नजर आए। किसानों ने बताया कि 20 से 25 दिन खरीदी केंद्रों में धान पड़ी हुई है लेकिन तोले नहीं हो पा रही है। इसका कारण यहां जगह न होना है। केंद्र में अभी 19000 क्विंटल से अधिक धान खुले में पड़ी हुई है। इसी तरह बहोरीबंद विकासखंड के 26 खरीदी केंद्रों मैं अब तक 1 लाख 10 हजार 961 मिट्रिक टन धान की खरीदी हो चुकी है, लेकिन मौसम को देखते हुए परिवहन की चाल सुस्त है क्योंकि अभी तक 80 हजार 983 मिट्रिक टन का ही परिवहन किया गया है । 30 हजार मिट्रिक टन धान अभी भी परिवहन के लिए खुले मैदान में पड़ी हुई है साथ ही खरीदी के अंतिम दिनों में एसएमएस मिलने के बाद बड़ी संख्या में अपनी उपज का विक्रय करने किसान उपज लेकर खरीदी केंद्र पहुंचे है।
शासन के नियमानुसार पहले मिलर्स फिर परिवहन ठेकेदार के माध्यम से परिवहन कराया जा रहा है। दो स्थानीय व दो बाहरी ठेकेदार सहित 65 मिलर्स व दो समितियां परिवहन कर रही है। परिवहन होने के बाद नियमानुसार भुगतान किया जा रहा है। कई किसानों के खाते नंबर गलत है तो कईयों ने जानकारी गलत दी है, जिसमें सुधार करवाया जा रहा है।
देवेन्द्र तिवारी, प्रबंधक, नागरिक आपूर्ति निगम