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कासगंज

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी यहां के लोगों के लिए आज भी ‘गुरु जी’, पढ़िए अनसुनी बातें

कितनी भी व्यस्तता हो भगत सिंह कोश्यारी शाखा जाना नहीं भूलते थे। सरस्वती शिशु मंदिर के व्यवस्थापक शांता कुमार के साथ साइकिल पर पीछे बैठकर कोश्यारी शहर भर में लोगों से मिल स्कूल के लिए सहायता इकट्ठी करते थे।

कासगंजSep 03, 2019 / 06:56 am

अमित शर्मा

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी यहां के लोगों के लिए आज भी हैं संघ की सायं शाखा में आने वाले ‘गुरु जी’

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी यहां के लोगों के लिए आज भी हैं संघ की सायं शाखा में आने वाले ‘गुरु जी’

कासगंज। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी महाराष्ट्र के राज्यपाल बने हैं। भगत सिंह कोश्यारी के उत्तराखंड का राज्यपाल बनने के बाद उत्तर प्रदेश के एक शहर में खुशी की लहर है। बुजुर्गों को आज भी उनके साथ बिताए समय के कई किस्से याद हैं तो वहीं बुजुर्गों से सुने किस्सों के चलते कोश्यारी के सादा, जीवन उच्च विचार के लिए युवाओं के दिल में भी बेहद सम्मान है। कासगंज में कोश्यारी गुरु जी के नाम से जाने जाते हैं। कासगंज में रहने के दौरान हमेशा संघ कार्य में लगे रहने वाले कोश्यारी के सरल स्वभाव, अनुशासित जीवन शैली का हर कोई कायल है। कोश्यारी कासगंज में पूर्णकालिक के तौर पर रहे। दिन भर संघ संपर्क, सरस्वती शिशु मंदिर के लिए सहायता जुटाना, शाखा में जाना और नए स्वयं सेवकों को जोड़ने के लिए सतत संपर्क में लगे रहना ही कोश्यारी की दिनचर्या थी। यहां के लोग उन्हें आज भी याद करते हैं।
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दरअसल महाराष्ट्र के राज्‍यपाल भगत सिंह कोश्यारी सन् 1965 से सन् 1970 तक कासगंज में सरस्वती शिशु मंदिर में प्रधानाचार्य के रूप में तैनात रहे। तब के दौरा में सरस्वती शिशु मंदिर लक्ष्मी गंज में एक किराए के भवन में चलता था। कोश्यारी की अपने कार्य के प्रति निष्ठा और लगन का अंदाजा आप इसीसे लगा सकते हैं कि अतिरिक्त खर्चा और समय की बचत वह स्कूल की व्यवस्थाओं में अधिकतम समय देने की उनकी सोच ही थी जिसके चलते उन्होंने कासगंज में अलग घर नहीं लिया बल्कि वह में स्कूल के ही एक कमरे में रहते थे। हालांकि सोरों गेट स्थिति संघ कार्यालय पर कभी कभार रुक जाया करते थे।

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नियमित आते थे सायं शाखा

कितनी भी व्यस्तता हो कोश्यारी शाखा जाना नहीं भूलते थे। संघ के पुराने कार्यकर्ता बताते हैं कि सोरों गेट या नगर पालिका में लगने वाली सायं शाखा में भगत सिंह कोश्यारी नियमित आते थे। वह शाखा में बाल स्वयं सेवकों से ऐसे घुल मिल जाते थे कि मानो वह आज भी एक बाल स्वयं सेवक ही हों।
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साइकिल से घूम-घूम कर स्कूल के लिए जुटाई सहायता

स्थानीय लोग बताते हैं कि बिलराम गेट स्थित राव महेंद्र पाल सिंह सरस्वती शिशु मंदिर की नींव में भगत सिंह कोश्यारी की प्रमुख भूमिका है। स्कूल के व्यवस्थापक शांता कुमार के साथ साइकिल पर पीछे बैठकर कोश्यारी शहर भर में लोगों से मिलते थे और स्कूल के लिए सहायता इकट्ठी करते थे।
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हमेशा रहे अनुशासनप्रिय

नए -पुराने संघ के कार्यकर्ता कहते हैं कि कोश्यारी बेहद अनुशासनप्रिय रहे हालांकि वह लोगों से मिलते समय हमेशा सहज रहते थे। स्कूल में वह जब भी जाते तो सन्नाटा छा जाता। शाखा पर समय की पाबंदी का वह हमेशा ध्यान रखते। वह कासगंज से उत्तराखंड शिफ्ट हो गए तब भी वह यहां के युवा स्वयं सेवकों याद करते थे। कोई भी व्यक्ति मिलने जाता तो तुरंत नाम से पहचान जाते।

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