चिकित्सालय सूत्र बताते हैं कि ब्लड बैंक से ब्लड लेने वालों की संख्या अधिक रहती है, लेकिन उसके बदले रक्त नहीं मिलता। ऐसे में ब्लड बैंक में रक्त का टोटा बना रहता। ब्लड रखने के फ्रिज खाली ही पड़े रहते हैं। विभिन्न स्थानों पर लगने वाले रक्तदान शिविरों से ब्लड बैंक को रक्त मिलता है।
जीवन के 52 बंसत देख चुके यहां हटवारा बाजार निवासी अकबर खान बताते हैं कि उनके द्वारा 77 बार रक्तदान किया जा चुका है। जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक रक्तदान के लिए सम्मानित हो चुके खान चिकित्सालय प्रशासन की अव्यवस्थाओं से आहत हैं।
राजकीय महाविद्यालय के व्याख्याता डॉ. सीताराम खण्डेलवाल कहते हैं कि जीवन में सबसे बड़ा रक्तदान है। रक्तदान करने से ना केवल दूसरे की जान बचाई जा सकती है, बल्कि स्वयं का शरीर भी स्वस्थ्य बना रहता है। हृदय स्वस्थ्य बना रहती है लाल रुधिक कणिकाएं नई बनती हैं, जिससे ऑक्सीजन लेने की क्षमता बढ़ती है और कार्य क्षमता बढ़ती है। ऐसे में रक्तदान करना चाहिए। रक्तदान को लेकर फैली भ्रांतियां गलत हैं। कोई भी स्वस्थ्य व्यक्ति रक्तदान कर सकता है।
रक्तदाता सुमित गर्ग कहते हैं कि रक्तदान से शरीर स्वस्थ्य रहता है। जिंदगी बचाने का इससे अच्छा कोई माध्यम नहीं है। हालांकि चिकित्सालय में व्यवस्थाएं ठीक नहीं हैं। ब्लड उपलब्ध कराने की व्यवस्थाओं में सुधार करना जरुरी है।