संघर्षो में निकला जीवन
सेाहनपाल अपने पिता जिन्सीराम व मां चंपा देवी के इकलौते पुत्र हैं। १० वर्ष की उम्र में ही पिता का निधन होने पर परिवार की परेशानियों से जूझते हुए उन्होंने १९६३ में मैट्रिकुलेशन पास की। घर की स्थिति कमजोर होने से वे आगे नहीं पढ़ सके। इस कारण सरकारी नौकरी नहीं लग सकी और खेती को अपना जीवकोपार्जन का माध्यम बनाया। लेकिन मन में शिक्षा की अलख जगाने का जज्बा होने से वो बच्चों को नि:शुल्क ज्ञान दे रहे हैं।
चार पुत्र व दो पुत्रवधु सरकारी सेवा में
सरपंच प्रकाशी मीना ने बताया कि युवावस्था में सोहनपाल ने मेहनत करके अपने बच्चों को पढ़ाया। सोहनपाल का सबसे बड़ा बेटा व्याख्याता, दूसरा अध्यापक, तीसरा चिकित्सक व चौथा वरिष्ठ अध्यापक है। एक पुत्रवधु चिकित्सक व एक अध्यापिका है। एक पुत्र खेती को संभाल रहा है।