शाम करीब चार बजे लगभग 15 मिनट की जोरदार बारिश ने शहर की सूरत बिगाड़ कर रख दी। जल निकासी का प्रबंध न होने और जाम नालियोंं के कारण जहां शीतला चौराहा, कटरा बाजार और डैम्परोड़ पर तालाब सदृश्य नजर आने लगे। वहीं शहर के कई क्षेत्रों में जल भराव तथा नालियों का गंदा पानी सड़क पर बहते हुए दुकानों और घरों में भी प्रवेश कर गया। झमाझम बारिश से शहर की सफाई व्यवस्था की भी पोल खुल गई। जगह-जगह नालियों का कचरा, पालीथीन ही नजर आया। नगरपरिषद की ओर से हर साल बारिश से पहले शहर में जल निकासी की व्यवस्था और जाम नालियों की साफ-सफाई का दावा किया जाता है, लेकिन अभी तक वृहद कार्ययोजना बना जल निकासी का पुख्ता प्रबंध नहीं करने से यह समस्या हर साल बारिश में सामने आती है। जिससे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
शनिवार रात को हल्की बारिश के बाद रविवार सुबह सूर्यदेव के तीखे तेवर देखने को मिले। आसमान में बादलों की आवाजाही के बीच तेज धूप और उमस ने लोगों को पसीने छुडा दिए। फिर शाम को मौसम का मिजाज पूरी तरह से बदल गया। आकाश मे काले घने बादल छाए और थोड़ी ही देर में झमाझम बारिश शुरू हो गई। लोग जहां तहां रूक गए और लगभग 15 मिनट तक जोरदार बारिश हुई। जब बारिश थमी और लोग अपने-अपने दुकान और घरों से बाहर निकले तो हालात पूरी तरह से बदल चुका था। नालियों का गंदा पानी तथा कचड़ा सड़कों पर बह रहा था। शीतला कॉलोनी, दिलसुख टाल वाली गलली, ब्राह्मण धर्मशाला के सामने, डेम्परोड, कटरा बाजार, जगदम्बा मार्केट, स्टेशन रोड़, बयाना रोड़ पर आनंद विहार कॉलोनी, हाई स्कूल के सामने के अलावा समूचे शहर क्षेत्र में जगह-जगह पालीथीन, कचरा और गंदा पानी ही नजर आ रहा था।
सबसे बदहाल स्थिति शीतला चौराहा व कटरा बाजार की थी। यहां तालाब से नजारा था। यहां हल्की बारिश में ही घुटनों तक पानी का जमा होना वर्षों पुरानी समस्या है। जिसका निराकरण आज तक नहीं हो सका है। आसपास रहने वालों लोगों ने बताया कि शीतला चौराहा पर क्षतिग्रस्त सड़क व कचरे से अटी नालियोंं के कारण कुछ ही मिनटों में गंदा पानी रास्ते में बहने लगता है। पानी इतना अधिक जमा हो गया कि दो पहिया वाहन चालक दूसरे रास्तों से आ-जा रहे थे।
उपखंड मुख्यालय तेजी से विकसित हो रहा है। शहर के हर क्षेत्र में नई कालोनियां विकसित हो रही हैं और नए-नए होटल, मकान, मॉल और दुकानों का निर्माण भी हो रहा है। इससे वर्षों पुराने प्राकृतिक बहाव वाले नाले भी अवरुद्ध हो गए हैं। कहीं होटल और दुकान बन गए हैं, तो कहीं मकानों की मजबूत दीवार खड़ी कर दी गई है। जिससे जल निकासी नहीं हो पा रही है। जो गंभीर समस्या बन गई है। लोगों का कहना है कि जब 15 मिनट की बारिश में यह स्थिति है तो बरसात के मौसम में क्या स्थिति होगी। इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
उपखंड मुख्यालय पर शहर की सरकार को नगरपरिषद का दर्जा मिले करीब एक दशक का वक्त बीत चुका है, लेकिन आज भी शहर में जल निकासी की समूचित व्यवस्था नहीं हो सकी है। नालियों की बेहतर तरीके से सफाई नहीं हो पाने का दंश भी लोगों को झेलना पड़ता है। शहर की पुरानी आबादी हो या फिर नई विकसित कॉलोनी ओर ढाणियां। हर तरफ बारिश के दिनों में गंदा पानी और कचरा सड़क पर बहने तथा लोगों के घरों में घुसने की शिकायत पुरानी है।