गौरतलब है कि पिछले कई वर्ष से शहरवासी जिला मुख्यालय पर सेटेलाइट अस्पताल की मांग कर रहे थे। इस मांग को लेकर राजस्थान पत्रिका की ओर से भी मुहिम चलाई गई थी। इस मुहिम में शहरवासी भी जुड़े, जिसमें विधायक सहित शहरवासियों ने राज्य सरकार स्तर तक इस मांग को पहुंचाया गया। इसके बाद इसी बजट सत्र में जुलाई माह में बजट के बाद सामान्य वाद-विवाद के दौरान विधानसभा में वित्त मंत्री दिया कुमारी ने करौली में नवीन सेटेलाइट अस्पताल की घोषणा की थी। इसके बाद अब चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग शासन संयुक्त सचिव की ओर से स्वीकृति जारी की गई है।
नया भवन शहर से आठ किलोमीटर दूर
करौली शहर में रियासतकाल से चिकित्सालय का संचालन हो रहा है। यह चिकित्सालय हिण्डौन गेट बाहर स्थित भवन में संचालित है। पिछले दशकों में इस मार्ग पर आबादी बढ़ने के साथ दुकानों का विस्तार हो गया, जिससे चिकित्सालय घनी आबादी क्षेत्र में आ गया। वहीं पिछले कुछ वर्षों में चिकित्सालय में रोगियों की संया में भी खूब इजाफा हुआ है। इसके चलते राज्य सरकार ने अस्पताल के नए भवन के लिए मण्डरायल रोड पर सैलोकर हनुमानजी के समीप भवन का निर्माण कराया था। मण्डरायल मार्ग पर मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य संस्थान और जिला चिकित्सालय का नवीन भवन का निर्माण हुआ था। वर्ष 2017-18 में एमसीएच का संचालन वहां से शुरू हो गया। इसके बाद चिकित्सालय प्रशासन ने कई अन्य यूनिट भी नए भवन में स्थानान्तरित कर दी। वर्तमान में शहर के मध्य चल रहे चिकित्सालय भवन में अन्य इकाइयों को भी शिट किया जाना है। चूंकि अस्पताल का नया भवन शहर से करीब 8 किलोमीटर दूर है। ऐसे में पुराने भवन में सेटेलाइट अस्पताल की मांग उठ रही थी। इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से विगत वर्षों में राज्य सरकार को प्रस्ताव भी भिजवाए गए थे। गौरतलब है कि मण्डरायल मार्ग पर जिला चिकित्सालय के समीप ही मेडिकल कॉलेज भी संचालित है।
दूसरे जिलों से भी आते हैं रोगी
यहां के सामान्य चिकित्सालय में न केवल करौली जिले के रोगी उपचार के लिए पहुंचते हैं, बल्कि आसपास के जिलों के शहरों के भी रोगी बड़ी संख्या में यहां आते हैं। चिकित्सालय में करौली सहित सपोटरा, मण्डरायल, हिण्डौनसिटी, कुडग़ांव, मासलपुर, नादौती, टोडाभीम, गंगापुरसिटी, धौलपुर जिले के धौलपुर, सरमथुरा, बाड़ी, बसेड़ी आदि इलाकों के रोगी उपचार के लिए आते हैं। इतना नहीं मण्डरायल के समीप चबल नदी के उस पार मध्यप्रदेश के सबलगढ़ व आसपास के भी बड़ी संख्या में रोगी भी इसी चिकित्सालय के उपचार के लिए आते हैं, जिसके चलते यहां अस्पताल पर काफी दबाव भी रहता है।