शिल्प एवं माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार करौली आए गेदर का सर्किट हाउस में दक्ष प्रजापति विकास संस्थान करौली, प्रजापति समाज के लोगों ने माला-साफा पहनाकर स्वागत किया। साथ ही मुख्यमंत्री के नाम विभिन्न मांगों का ज्ञापन सौंपा। इसमें प्रमुख रूप से राज्य सरकार द्वारा राजस्व रिकार्ड में प्रजापति/कुम्हार समाज के स्थान पर कुमावत दर्ज करने के संबंध में जारी किए गए आदेशों को लेकर विरोध जताते हुए इस आदेश को वापस लेने की मांग की गई। समाज के लोगों ने कहा कि प्रजापति /कुम्हार नाम ही समाज की मूल पहचान है। उनके पूर्वजों के समय से समाज को इसी नाम से पहचाना जाता है। ऐसे में प्रजापति समाज की पहचान खत्म नहीं की जाए।
दक्ष प्रजापति विकास संस्थान के संरक्षक रामेश्वर ठेकेदार ने कहा कि प्रजापति -कुम्हार समाज रियासतकाल से मिट्टी के बर्तन, खिलौने, मूर्तियां, ईंटें, कच्चे घर बनाने व खेती के लिए पहचाना जाता है। ज्ञापन में राजस्व रिकार्ड में प्रजापति कुम्हार समाज के नाम को यथावत ही रखने ,प्रजापति समाज को मिट्टी की खदानों के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर भूमि आरक्षित करने, जिला एवं उपखण्ड मुख्यालयों पर प्रजापति छात्रावास के लिए भूमि आवंटन करने, मिट्टी व्यवसाय को प्रोत्साहन के लिए ऋण एव अनुदान देने की मांग की गई। इस पर बोर्ड अध्यक्ष डूंगरराम गेदर ने समाज के लोगों को आश्वास्त किया कि किसी भी त्रुटि को नियमानुसार दस्तावेज लेकर सुधारा जाता है। प्रजापति/ कुम्हार को कुमावत नहीं किया जाएगा। उन्होंने दीपावली से पूर्व प्रत्येक जिला मुख्यालय एवं संभाग मुख्यालय सहित जयपुर में माटी कला बोर्ड के माध्यम से होर्डिंग्स लगवा कर मिट्टी के दीपकों के उपयोग के लिए दीपावली पर अपील जारी करने की कार्य योजना के बारे में जानकारी दी, जिससे मिट्टी का काम करने वाले कुम्हार समाज के लोगों को प्रोत्साहन सकेगा। ज्ञापन सौंपने के दौरान दक्ष प्रजापति विकास संस्थान संयोजक छीतरलाल प्रजापति, गंगाराम प्रजापत सचिव, संरक्षण ठेकेदार रामेश्वर प्रजापति, डॉ. रामप्रसाद प्रजापति ससेड़ी, अध्यापक राजपाल प्रजापति, ठेकेदार दुर्गा लाल प्रजापत, ठेकेदार लखन प्रजापति गुबरेडा, युवा अध्यक्ष राकेश प्रजापत, दिनेश मिस्त्री, पंचायत समिति सदस्य भूरा प्रजापत महू, माधौ हलवाई, अध्यापक रमेश खेडिय़ा,रत्तीराम प्रजापत,प्रेमसिंह,हेमेंद्र प्रजापत,बाबूलाल आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।