कानपुर के तलाक महल की किसी भी गली में घुस जाइए तो आपको कपड़े का यह अनोखा और चौंकाने वाला बाजार मिल जाएगा। कपड़े की आलीशान दुकान, शोरूम और वहां रखा तराजू। खरीदार ने माल पसंद किया और तराजू पर तौलाई शुरू हो गई। ये बात पढने में जितनी चौकाने वाली उससे कई ज्यादा देखकर चौंक जाएंगे। यहां बनारसी साड़ियों से लेकर महंगे से महंगे कपड़े भी तौल पर मिलते हैं। यहां से थोक में खरीदारी कर इन्हें फुटकर में बेचकर शहर समेत आसपास के जिलों तक हजारों लोग रोजी-रोटी कमा रहे हैं।
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अब 80 रुपए लीटर दूध तो पनीर और दही की भी बढ़ी कीमतें, भूसा-चूनी-चोकर की महंगाई ने तोड़ा 25 साल का रिकॉर्ड क्या और कैसी है ये बाजार इस बाजार की बुनियाद करीब 50 साल पहले पड़ी थी। तब स्वर्गीय वसी अहमद मुंबई से कपड़े लाकर यहां बेचते थे। इसके बाद धीरे-धीरे लोग इससे जुड़ते चले गए और सूरत समेत अन्य शहरों से माल ज्यादा आने लगा। अब तौल में बिक्री की बात समझिए। तलाक महल के कारोबारी सलीम खां बताते हैं कि कपड़ा उद्योग में धागा तौल में आता है, जिससे पैंट-कमीज, साड़ियों समेत अन्य के बड़े-बड़े थान (कई मीटर कपड़े का सेट) तैयार होता है। इसी तरह साड़ियां भी धागे से निर्मित होती हैं। इनके निर्माण में कई बार बचे टुकड़े, जिन्हें कटपीस कहते हैं और छोटी-छोटी खामियों वाली साड़ियां, दुपट्टे व अन्य कपड़े बड़े कारोबारी तौल में कम कीमत में बेचते हैं।
इन गलियों में सजता है बाजार तलाक महल की तंग गलियों से लेकर छोटे मियां का हाता, बेबिस कंपाउंड, भैंसा हाता, दादा मियां का चौराहा, रेडीमेड बाजार, बेकनगंज बाजार, परेड मैदान के इर्द-गिर्द की गलियों में कहीं भी जाएंगे तो सुबह करीब सात बजे से ही यहां कतार में दुकानें खुलने की शुरुआत होती दिख जाएगी। इस बाजार के ग्राहक आम खरीदार कम ही होते हैं, बल्कि शहर के कारोबारी से लेकर आसपास कई जिलों के साथ बुंदेलखंड के फुटकर कारोबारी यहां से माल खरीदते हैं।
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यहां मंदिर के पत्थरों से टपकती बूंदें बताती हैं मानसून की भविष्यवाणी, कभी नहीं होती है गलत गुजरात-मुंबई जैसे शहरों से आता है कपड़ा कारोबारी बताते हैं कि गुजरात के सूरत, अहमदाबाद व मुंबई की मिलों से वह कपड़ा तौल में मिलता है, जो गांठ से बच जाता है। कपड़े में कट आने पर इसे बड़े टुकड़े में काट दिया जाता है, जो औने-पौने दाम में गांठ में भरकर तौल कराने के बाद कानपुर के बाजार में भेजा जाता है। अब काटन की मांग तेजी से बढ़ी है, इसलिए उसकी कटपीस का माल भी ज्यादा मंगवाया जा रहा है। इनमें लिनेन, सिथेंटिक, चंदेरी बनारसी सूट, पंजाब का रेशमी दुपट्टा भी अधिक आता है।
लाखों को मिल रहा रोजगार कानपर के इस बाजार में एक हजार के आसपास हैं छोटी-बड़ी दुकानें हैं। 10 हजार लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलता है। 50 हजार लोग शहर व आसपास जिलों के जुड़े है। 1.50 लाख लोगों को यहां से रोजगार मिला है। यहां पर 50 लाख रुपये का प्रतिदिन का कारोबार होता है। इस बाजार में 500 से 750 रुपये प्रति किलो पैंट का कपड़ा साढ़े तीन से सात मीटर मिलता है। यहां सिर्फ 100 रुपये प्रतिमीटर दर पड़ती है।
इस साल मात्र एक शहर में बिका पांच ट्रक कपड़ा व्यापारी सलीम खां ने बताया कि मेलों में दुकान लगाने या फेरी लगाकर कपड़ा बेचने वाले अधिकांश व्यापारी इस बाजार से तौल में कपड़ा लेते हैं। यहां से लेकर इस कपड़े को दूर-दूर तक लगने वाले मेलों व बाजारों में बेचते हैं। इस साल अजमेर उर्स में करीब डेढ़ करोड़ रुपये कीमत का पांच ट्रक कपड़ा बिक्री के लिए गया।