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कानपुर

बिकरू कांड: अमर दुबे की पत्नी को किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग माना, पिता ने दस्तावेज दाखिल कर की थी मांग

बिकरू कांड घटना में लिप्त पाए जाने पर अमर की पत्नी को जेल भेज दिया गया था।

कानपुरSep 03, 2020 / 06:42 pm

Arvind Kumar Verma

बिकरू कांड: अमर दुबे की पत्नी को किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग माना, पिता ने दस्तावेज दाखिल कर की थी मांग

बिकरू कांड: अमर दुबे की पत्नी को किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग माना, पिता ने दस्तावेज दाखिल कर की थी मांग

कानपुर देहात-कानपुर के बिकरू कांड के बाद मुख्य आरोपी विकास दुबे के खास अमर दुबे मुठभेड़ में मारा गया था। साथ ही इस घटना में लिप्त पाए जाने पर अमर की पत्नी को जेल भेज दिया गया था। वहीं कानपुर रहने वाले उसके पिता द्वारा 12 अगस्त को कानपुर देहात की एंटी डकैती कोर्ट में बेटी को नाबालिग घोषित करने की मांग की गई थी। जिस पर न्याय किशोर बोर्ड के प्रधान मजिस्ट्रेट कमलकांत गुप्ता ने नाबालिग माना है। हालांकि बिकरू कांड में खुशी को आरोपित मानते हुए उसे जेल भेज दिया गया था। बताया गया कि प्रधान मजिस्ट्रेट ने दस्तावेजों के परीक्षण रिपोर्ट से उसको किशोरी घोषित किया है।
जनपद कानपुर के बहुचर्चित बिकरू कांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे सहित कई आरोपी मुठभेड़ में मारे गए। वहीं कुछ सलाखों के पीछे भेज दिए गए हैं। दो माह गुजरने के बाद भी एक के बाद मामले खुलते जा रहे हैं। बीते दिनों मुठभेड़ में मारे गए बिकरू कांड के आरोपी अमर दुबे की पत्नी के जेल भेजे जाने के बाद उसके नाबालिग होने को लेकर सुर्खिया तेज थी। दरअसल कानपुर के पनकी रहने वाले पिता ने बेटी के नाबालिग होने की बात कहते हुए कानपुर देहात की एंटी डकैती कोर्ट में मांग की थी। इसके लिए उन्होंने बेटी के सभी शैक्षणिक प्रमाण पत्र सहित मार्कशीट दाखिल की थीं। कानूनी प्रक्रिया भी किशोर न्याय बोर्ड के तहत चलाए जाने की मांग की थी। जिसके तहत न्यायालय ने भी उसी दिन मामले को संज्ञान लेते हुए किशोर न्याय बोर्ड में स्थानांतरित कर दिया। जहां आरोपित के आयु निर्धारण मुद्दे पर बहस शुरू हुई।
बहस में महिला अभियोजन अधिकारी ने कहा कि दस्तावेजों पर पूरी तरह विश्वास नहीं किया जा सकता है। माता पिता के बयान भी विरोधाभाषी हैं। बचाव पक्ष के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने कहा कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 94 में स्पष्ट है कि यदि हाईस्कूल अंकपत्र व प्रमाण पत्र उपलब्ध हैं तो अन्य किसी दस्तावेज या मेडिकल की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा सभी दस्तावेज उपलब्ध हैं, ऐसे में आरोपित को किशोर घोषित किया जाए। अधिवक्ता शिवाकांत ने बताया कि किशोर न्याय बोर्ड में बहस होने से पूर्व माता पिता के बयान दर्ज किए गए थे।

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