प्रकृति के बीच दिखाई देती है भोरमदेव मंदिर
शहर से 18 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ का खजुराहो भोरमदेव मंदिर स्थित है। मैकल
पर्वतों और प्रकृति के बीच भोरमदेव मंदिर की छटा निराली दिखाई देती है
कबीरधाम. शहर से 18 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ का खजुराहो भोरमदेव मंदिर स्थित है। मैकल पर्वतों और प्रकृति के बीच भोरमदेव मंदिर की छटा निराली दिखाई देती है। पर्यटन के लिहाज से भोरमदेव लोगों को काफी आकर्षित करता हैं।
11वीं सदी में निर्मित यह मंदिर ग्राम छपरी के पास घाटियों पर है। मंदिर परिसर में शिव, दुर्गा भैरव और हनुमान का मंदिर प्राचीन पाषाण मूर्तियों का संग्रह भी है। वैसे तो सालभर यहां लोगों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन मौका खास हो तो इसका अलग ही मजा है।
मंडवा महल
भोरमदेव मंदिर से आधा किमी दूरी पर चौरा ग्राम के समीप पत्थरों से निर्मित शिव मंदिर है। ऐसी जनश्रुति है कि इस मंदिर में विवाह संपन्न कराए जाते थे। विवाह मंडप के रूप में प्रयुक्त होने के कारण मंडवा महल कहा जाता है। मंदिर के बाह्य दीवारों पर मैथुन क्रिया की मूर्तियां बनी हुई है। गर्भगृह का द्वार काले चमकदार पत्थरों से बना हुआ है। मंडवा महल की इस सुंदरता के कारण ही वर्षभर पर्यटक श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। जो लोगों को आकर्षित करता है।
छेरकी महल
भोरमदेव मंदिर समूह का एक मंदिर है छेरकी महल। यहां पत्थर के आकर्षक चौखट और भित्तीय चित्र बनी हैं। प्राचीन काल से अब तक बकरों की गंध से भरी रहती है, जो किसी कौतूहल से कम नहीं है। यह महल भोरमदेव मंदिर से महज आधे किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भोरमदेव आने वाले पर्यटकों को छेरकी महल सहज ही आकर्षित करता है। यहां दूर-दराज से पर्यटक नजारा देखने आते हैं।
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