Congo Fever in Jodhpur: क्रीमियन-कांगो रक्तस्रावी बुखार यानि कांगो फीवर का खौफ एक बार फिर उभर कर आया है। पांच साल पहले 2019 में इस बीमारी से दो मौत हुई थी। अब एक बार फिर से इस बीमारी ने एक जान ली है। कोविड की तरह की पीपीई किट और अन्य सुरक्षा उपाय देखने को मिले हैं। यह कोविड की तरह तेजी से तो नहीं फैलता, लेकिन प्रोटोकॉल उसी प्रकार से करने होते हैं।
टिक्स परजीवी मवेशियों के शरीर पर होता है, उससे कांगो बुखार फैलता है। इसकी पुष्टि में भी कई दिनों का समय लग जाता है। सामान्य बुखार के बाद दूसरे सप्ताह में हेमेजेरिक लक्षण आते हैं। इसके बाद इसकी रिपोर्ट पुणे भेजी जाती है, जहां से पुष्टि होती है। इससे पहले 2019 में भी इस फीवर से दो लोगों की मौत अहमदाबाद में हुई थी। बाद में यहां ट्रेसिंग व सैम्पलिंग की गई थी। इस बार भी उसी पैटर्न पर ट्रेसिंग की जा रही है।
कॉन्टेक्ट पर निगाह
डिप्टी सीएमएचओ डॉ प्रितम सिंह बताते हैं कि पुणे से जांच रिपोर्ट आने और जयपुर चिकित्सा विभाग से निर्देश मिलते ही नान्दड़ा कलां गांव में टीमें भेजी। जिस महिला की मृत्यु हुई है, उसके 12 कॉन्टेक्ट ट्रेस किए गए हैं। उनको 15 से 20 दिन तक सर्विलांस पर रखा जाएगा। यदि इनमें कोई लक्षण पाए जाते हैं तो उस लिहाज से ट्रीट किया जाएगा। मवेशियों के सैम्पल लेकर यह भी पता लगाने के प्रयास कर रहे हैं कि किस मवेशी ये यह फैला है।
यूरोप के क्रीमिया में पहला मामला सामने आया
इस बीमारी का इतिहास 1944 का है। यूरोप के क्रीमिया में पहला मामले सामने आया था। इसके बाद अफ्रीका के कांगो में इसके मामले सामने आए। जोधपुर में पहली बार यह 2014 में सामने आया। इस बीमारी के लिए अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बनी है। कोई लाइन ऑफ ट्रीटमेंट भी सटीक नहीं है। ऐसे में लक्षण दिखने पर बचाव ही उपचार है।
इस प्रकार सामने आए मामले
2014 में इस बीमारी का सबसे पहला मामला सामने आया था। एक महिला इससे ग्रसित हुई थी।
2019 में इस बीमारी से तीन संक्रमित पाए गए थे, इनमें से 2 की मौत हो गई थी।
2024 में अब एक संक्रमित महिला की इससे मौत हो गई है।
सामान्य लक्षण
बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों के में दर्द के लक्षण तो सामान्य वायरल की तरह ही होते हैं।
कुछ लोगों को तेज रोशनी से दिक्कत होती है और आंखों में सूजन भी आ सकती है।