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जोधपुर में BJP MLA बाबू सिंह की अनुशंसा पर बने तीन नए राजस्व गांव, हाईकोर्ट ने लगाई रोक; सरकार को किया तलब

Rajasthan News: राजस्थान हाईकोर्ट ने जोधपुर जिले के शेरगढ़ तहसील में राजनीतिक हस्तक्षेप और नियमों का उल्लंघन कर बनाए गए तीन नए राजस्व गांवों की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है।

जोधपुरJan 25, 2025 / 03:33 pm

Nirmal Pareek

MLA Babu Singh Rathore
Rajasthan News: राजस्थान हाईकोर्ट ने जोधपुर जिले के शेरगढ़ तहसील में राजनीतिक हस्तक्षेप और नियमों का उल्लंघन कर बनाए गए तीन नए राजस्व गांवों की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति विनीत कुमार माथुर की एकलपीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए मामले में जवाब तलब किया है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 14 फरवरी 2025 को होगी। बताया जा रहा है कि इन तीन नए गांवों के सृजन के लिए शेरगढ़ से बीजेपी MLA बाबू सिंह राठौड़ ने अनुशंसा की थी।
दरअसल, शेरगढ़ तहसील के खिरजा भोजा राजस्व गांव से पृथ्वीराजसिंह नगर, लादानी नगर और हड़मतसिंह नगर नामक तीन नए राजस्व गांव बनाने की अधिसूचना राज्य सरकार ने 10 जनवरी 2025 को जारी की थी। इसके खिलाफ खिरजा भोजा के निवासी डूंगर सिंह और अन्य ने अधिवक्ता यशपाल खिलेरी और विनीता चांगल के माध्यम से राजस्थान हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की है।
सरकार का आदेश

याचिकाकर्ता ने दिया ये तर्क

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि नए राजस्व गांव बनाने की प्रक्रिया में राजस्थान भू राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 16 के तहत निर्धारित मापदंडों का पालन नहीं किया गया। याचिका में कहा गया कि राजनीतिक लाभ के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया और नए गांवों के नाम स्थानीय नेताओं और उनके पूर्वजों के नाम पर रखे गए, जो नियमों के विपरीत है।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने कोर्ट को बताया कि नए राजस्व गांव बनाने के लिए न्यूनतम आबादी, चरागाह भूमि, सिवाय चक भूमि और मूलभूत सुविधाओं का विस्तार जैसे मापदंड अनिवार्य हैं। लेकिन राज्य सरकार ने इन नियमों का उल्लंघन करते हुए अधिसूचना जारी की। उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय विधायक की अनुशंसा पर सभी आपत्तियों को अनदेखा कर नए गांवों का सृजन किया गया, जो संविधान और कानून के खिलाफ है।
विधायक की अनुशंसा

बिना कोरम पूर्ण हुए ही बुलाई मीटिंग

राजस्थान पंचायतीराज अधिनियम 1994 और नियम 1996 के प्रावधानों के अनुसार ग्रामसभा की मीटिंग में विकास अधिकारी या उसका प्रतिनिधि उपस्थित होना आवश्यक है। वहीं, ग्राम सभा की मीटिंग की 15 दिन पूर्व में सूचना प्रकाशित किया जाना आवश्यक है। अतिआवश्यक मामलों में न्यूनतम 3 दिन की पूर्व सूचना देनी आवश्यक होती है। लेकिन इस मामले में सभी आवश्यक प्रावधानों को दरकिनार किया गया।
ग्राम सभा की मीटिंग
ज़िला कलेक्टर जोधपुर के पत्र दिनांक 08 नवंबर 2024 की पालना में आनन-फानन में 09 नवंबर 2024 को बिना कोरम पूर्ण हुए ही ग्रामसभा की मीटिंग बुलाकर चार नए राजस्व ग्राम के प्रस्ताव बनाकर भेज दिए गए। ग्रामसभा की मीटिंग में चुने हुए 5 वार्डपंचों में से केवल 2 वार्डपंच के ही सिग्नेचर करवा कर विधि विरुद्ध मीटिंग कर राज्य सरकार के परिपत्र के विपरीत जाकर नए राजस्व ग्रामो के नाम व्यक्ति विशेष के नाम पर कर प्रस्ताव भेजना नियम विरुद्ध है।

हाईकोर्ट ने सुनाया ये आदेश

याचिकाकर्ताओं के तर्कों से सहमत होते हुए हाईकोर्ट ने शेरगढ़ तहसील में नवसृजित तीनों गांवों की क्रियान्विति पर अंतरिम रोक लगा दी और राज्य सरकार सहित जिला कलेक्टर, जोधपुर से जवाब मांगा। बता दें इस मामले की अगली सुनवाई 14 फरवरी 2025 को होगी।
हाईकोर्ट को आदेश

नियमों की अनदेखी पर सवाल

इस मामले ने प्रदेश में नए राजस्व गांवों के सृजन के लिए अपनाई जा रही प्रक्रियाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद नए गांव बनाने के लिए सरकार को पारदर्शिता सुनिश्चित करनी होगी और राजस्व नियमों का पालन करना होगा।

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