किसानों का कहना है कि पड़ोसी देश बांग्लादेश में चल रही राजनैतिक विरोध के चक्कर में अनार को वहां बेच नहीं पा रहे। ऐसे में अब बॉर्डर के खुलने के बाद ही निर्यात का पता चल पाएगा।
किसानों ने बताया कि क्षेत्र की अनार का उत्तर से लेकर दक्षिण भारत के सभी राज्यों में तथा बांग्लादेश, नेपाल, भूटान के अलावा अरब देशों को भारी मात्रा में निर्यात किया जाता है। बांग्लादेश व भारत का व्यापार सड़क सीमा से जुड़ा होने के कारण सर्वाधिक होता है।
यहां का अनार प्रसिद्ध
प्रगतिशील किसान विक्रम सिंह ने बताया कि क्षेत्र का
अनार मीठा है इसलिए जीवाणा, पादरू व देचू की मंडियों में गुजरात, महाराष्ट्र, यूपी, बिहार सहित स्थानीय व्यापारी अनार खरीदकर देश-विदेश में आपूर्ति करते है। वहीं क्षेत्र के सेखाला, केतु, खेतनगर, हापासर, बालेसर सहित देचू क्षेत्र के कई किसान इस खेती में अपना भाग्य आजमा रहे हैं।
इस बार 50 टन अनार 125 प्रति किलो के हिसाब से बेच चुके हैं, जबकि आधे से ज्यादा उत्पादन अभी बाकी है जो बॉर्डर खुलने पर और अच्छे दाम में बिकने की उम्मीदें है। मारवाड़ अनार व्यापार संघ के बाबूलाल ने बताया कि भारत बांग्लादेश की सीमा खुलने से व्यापार सुगम होने की उम्मीद है। इसके साथ ही अनार के दाम भी बढ़ सकते हैं।
15 से 20 साल का एक पौधा
कृषि विशेषज्ञ राजेंद्र यादव ने बताया कि अनार का पौधा 3 साल में फल देना चालू कर देता है, जो 15-20 साल तक लगातार फल देता है। एक हेक्टर में 835 पौधे लगते है, जिनकी ऊंचाई 5 से 7 फीट तक हो सकती है। राजस्थान सरकार की ओर से किसानों को बूंद-बूंद सिंचाई संयंत्र के साथ-साथ, उर्वरक,पौधे की खरीद के अलावा बगीचे के रखरखाव के लिए भी अनुदान उपलब्ध करवाया जाता है।