जोधपुर के ब्राह्मण परिवार के शायर शीन काफ निजाम को मिलेगा पद्मश्री, बातचीत में बताई कई अनकही मन की बातें
Sheen Kaaf Nizam : उर्दू भाषा के विख्यात साहित्यकार व शायर जोधपुर के शीन काफ निजाम का जन्म का नाम शिव किशन बिस्सा है। इनका जन्म जोधपुर के पुष्करणा ब्राह्मण परिवार में हुआ था। पद्मश्री पुरस्कार की घोषणा के बाद शीन काफ निजाम (श्याम किशन बिस्सा) से बातचीत में उन्होंने कहा, सम्मान के लिए नहीं मन की लिखता है लेखक।
पद्मश्री पुरस्कार के लिए शीन काफ निजाम का नाम घोषित होने के बाद अपने परिवारजन के साथ निजाम।
Sheen Kaaf Nizam : ‘मैं यह नहीं मानता कि उर्दू किसी धर्मविशेष की भाषा है। इसका उदाहरण आज का दिन है। साहित्य तो एक होता है, जिसे हम अलग-अलग भाषाओं में लिखते हैं। मेरी तालीम भी संस्कृत से शुरू हुई। हिंदी-अंग्रेजी भी पढ़ी और साइंस का विद्यार्थी रहा और आखिर में मैं सिर्फ साहित्य का पाठक रहा।’ ये बात विख्यात शायर शीन काफ निजाम ने कही। उर्दू भाषा के विख्यात साहित्यकार जोधपुर के शीन काफ निजाम का जन्म का नाम शिव किशन बिस्सा है। इनका जन्म जोधपुर के पुष्करणा ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
शीन काफ निजाम को पद्मश्री अवार्ड मिलने के बाद राजस्थान पत्रिका से बातचीत में उन्होंने कहा- हर पढ़ने वाला पाठक नहीं होता और हर सुनने वाला श्रोता नहीं होता। लेखन करना है तो उसे पढ़ने से प्यार होना चाहिए। उन्होंने बताया कि जिन बुजुर्गों ने मेरा हौसला बढ़ाया फिर चाहे वो हिंदी में अज्ञेय हो या फिर मौलाना माहिर उल कादरी, कालीदास गुप्ता, डॉ. वजीर आगा। यानि हिंदुस्तान और पाकिस्तान के लेखकों और शायरों ने मुझे हर जगह प्रोत्साहित किया।
लेखन, संपादन व अनुवाद किया
करीब 80 वर्षीय निजाम ने कविताएं, आलोचना पर पुस्तकें लिखी हैं। इनमें और भी है नाम रास्ते का, रास्ता ये कहीं नहीं जाता सहित कई कविताओं की पुस्तकें लिखी हैं। इनके अलावा कई पुस्तकों का संपादन किया। कई राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय सेमिनारों में पत्रवाचन भी किया। अंग्रेजी, गुजराती, राजस्थानी व मराठी कविताओं की पुस्तकों का अनुवाद भी किया। इनमें गुमशुदा डेर की गूंजती घंटिया पुस्तक लेखन पर केन्द्रीय साहित्य एकेडमी की ओर से पुरस्कार मिला है। वहीं, देश-विदेश की कई प्रतिष्ठित संस्थाओं की ओर से भी पुरस्कार मिल चुके है। गत वर्ष कतर में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।
प्रख्यात शायर, चिंतक, आलोचक, साहित्यकार शीन काफ निजाम (श्याम किशन बिस्सा) ने बताया कि लेखक किसी ईनाम, पुरस्कार, सम्मान के लिए नहीं लिखता है, बल्कि वह अपने मन की बात लिखता है। जो लोग मेरे लेखन का हौंसला बढ़ाते हैं, उन लोगों का यह सम्मान है। यह सम्मान पूरे जोधपुर के लोगों को समर्पित है, जिनकी दुआओं, शुभकामनाओं से मुझे लिखने की हिम्मत मिलती है। यह गौरव मेरा नहीं, मेरे शुभचिन्तकों का है।
निजाम ने कहा कि अब पुरस्कार की चाह नहीं रही। लेखक का कर्म अच्छा लिखने का है। कोई पसन्द करे तो अच्छा, नहीं करे तो अच्छा। पुरस्कार मिले तो अच्छा, नहीं मिले तो अच्छा। लेखक का कर्म सदैव लिखते रहना होना चाहिए।
26 नवम्बर 1945 को जोधपुर में जन्में निजाम को बचपन से पढ़ने का शौक रहा। निजाम ने अपने शौक के लिए इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में छोड़ दी और लेखन में आ गए। निजाम ने बताया कि वे भारतीय संस्कृति-परम्पराओं को समावेश करने वाले शाइरों से प्रेरित रहे। इनमें मीर, गालिब, फिराक गोरखपुरी सहित कई कवि, आलोचक व शायर हैं।
पाकिस्तान की प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका चहारसू में एक विशेषांक निजाम पर केन्द्रित था। वहीं, लफ्ज के दर पर, लफ्ज दर लफ्ज, मानी दर मानी आदि आलोचनात्मक पुस्तकें पाकिस्तानी आवाम में खूब पढ़ी जा रही हैं। कई शोधार्थी इनकी पुस्तकों पर शोध कार्य कर रहे हैं।
अखिल भारतीय पुष्टिकर सेवा परिषद के महामंत्री अमरचन्द पुरोहित ने बताया कि जोधपुर के पुष्करणा समाज में जन्मे शीन काफ निज़ाम को शिक्षा एवम साहित्य के क्षेत्र में पद्म श्री से अलंकृत किए जाने से देश के साहित्य प्रेमियों में एवं पुष्करणा समाज मे हर्ष की लहर है। इसके अलावा हाईकोर्ट पूर्व जस्टिस जीके व्यास ने भी उनके सम्मान में कविता लिखी।