विवि ने फरवरी 2013 में 154 शिक्षकों की भर्ती की थी। इसमें से 111 असिस्टेंट प्रोफेसर, 26 एसोसिएट प्रोफेसर और 17 प्रोफेसर थे। मामला विवाद में आने के बाद एसीबी ने अगस्त 2014 में तत्कालीन कुलपति प्रो. भंवरसिंह राजपुरोहित व अन्य के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया था। इसमें करीब 11 जनों की गिरफ्तारी हो चुकी है। अन्य आरोपियों की भूमिका की पड़ताल जारी है। वहीं, सिंडिकेट ने शिक्षक भर्ती 2013 में सहायक आचार्य पद के लिए जारी विज्ञापन में योग्यता को उचित नहीं बताते हुए संपूर्ण प्रक्रिया को रद्द करने की सिफारिश की थी। हालांकि प्रक्रिया को अभी तक रद्द नहीं किया गया।
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तत्कालीन कुलपति प्रो. राजपुरोहित, प्रो. आर.एन. प्रसाद, प्रो. नरेन्द्र अवस्थी व अन्य ने उच्च न्यायालय में आपराधिक विविध याचिका दायर कर एफआईआर को चुनौती दी थी। सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने एसीबी की एफआईआर रद्द करने के आदेश दिए थे। तत्कालीन भाजपा सरकार हाईकोर्ट के इस निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। सरकार की एसएलपी पर सुनवाई बाद सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2017 को आदेश दिया कि एसीबी की तफ्तीश जारी रहेगी। यह भी आदेश दिया कि एसीबी सात दिन में चालान पेश करे। इसके बाद एसीबी ने भंवर सिंह, डूंगर सिंह खींची, केसवन एम्बरान, जुगल काबरा, श्याम सुंदर शर्मा व दरयाव सिंह चूंडावत के खिलाफ चालान पेश किया।