scriptखुशखबरीः अब 100 वार्ड का होगा जोधपुर नगर निगम, स्वच्छता रैंकिंग सुधरेगी, बजट भी बढ़ेगा | Now Jodhpur Municipal Corporation will have 100 wards, cleanliness ranking will improve, budget will also increase | Patrika News
जोधपुर

खुशखबरीः अब 100 वार्ड का होगा जोधपुर नगर निगम, स्वच्छता रैंकिंग सुधरेगी, बजट भी बढ़ेगा

पहले नगर निगम के 65 की बजाय 100 वार्ड किए और उसके बाद निगम को दो भागों में बांटकर 80-80 वार्डों के दो नगर निगम बना दिए, लेकिन इसके लिए एरिया नहीं बढ़ाया गया था।

जोधपुरNov 25, 2024 / 09:17 am

Rakesh Mishra

jodhpur city
Jodhpur News: राज्य सरकार ने प्रदेश के निकायों में जनसंख्या के आधार पर नए सिरे से वार्डों का निर्धारण कर दिया है। इसके अनुसार अब एक निकाय में 35 लाख से ज्यादा जनसंख्या होगी तो ही 150 से ज्यादा वार्ड बनेंगे। जोधपुर की जनसंख्या करीब 13 लाख है। ऐसे में जोधपुर में एक ही निगम बना, तो जनसंख्या के आधार पर यहां 100-105 वार्ड बन सकते हैं। एक ही नगर निगम होने का सबसे बड़ा असर स्वच्छता सर्वेक्षण पर पड़ेगा। शहर की रैंकिंग में सुधार होगा। सरकार की ओर से बजट भी उसी आधार पर मिलेगा।
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने 15 लाख से ज्यादा आबादी पर 150 वार्ड निर्धारित कर दिए थे। इस फैसले का भाजपा ने विरोध किया था, लेकिन कांग्रेस ने राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए जोधपुर में दो निगम बनाए। इसका खामियाजा आम लोगों के साथ ही निगम को भी भुगतना पड़ा। पहले नगर निगम के 65 की बजाय 100 वार्ड किए और उसके बाद निगम को दो भागों में बांटकर 80-80 वार्डों के दो नगर निगम बना दिए, लेकिन इसके लिए एरिया नहीं बढ़ाया गया था।

ये क्षेत्र हो शामिल तो बढ़े शहर का दायरा और रेवेन्यू

रामेश्वर नगर, कुड़ी भगतासनी हाउसिंग बोर्ड को हालांकि नगर पालिका में शामिल किया गया है, लेकिन यह क्षेत्र निगम में आता है तो यहां के लोगों को सफाई, लाइट जैसी कई सुविधाएं मिलेगी। इसके अलावा पाल, डिगाड़ी जैसे करीब 6 क्षेत्र हैं, जो नगर निगम क्षेत्र से सटे हुए हैं। ये क्षेत्र पिछले करीब एक दशक से अधिक समय से जोधपुर शहर का हिस्सा बन चुके हैं। इनमें करीब 2.5 लाख से अधिक जनसंख्या रहती है। निगम इन क्षेत्रों में अपने वार्डों को बढ़ाए तो दायरा बढऩे के साथ ही निगम को रेवेन्यू का भी फायदा होगा।

इन कार्यों में पिछड़ गए निगम

  1. दो निगम बनने के बाद से ही राजस्व को लेकर विवाद रहा
    निगम दक्षिण ने यूडी टैक्स के मामले में करीब 14 करोड़ का लक्ष्य हासिल किया। जबकि निगम उत्तर यूडी टैक्स के लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाया।
  2. कार्यालय का विवाद
    निगम उत्तर को पूर्व में सोजती गेट स्थित पुराने निगम भवन में शिफ्ट किया गया, लेकिन महापौर ने यहां पर कार्यालय चलाने में असमर्थता जताई। उसके बाद सरकार ने निगम उत्तर का कार्यालय भी निगम के नए भवन में शिफ्ट किया गया।
  3. प्रशासनिक अमला बढ़ा, लेकिन लोगों को नहीं मिली राहत
    दो नगर निगम होने के बाद प्रशासनिक अमला तो बढ़ गया। दोनों ही निगम में तीन जोन उपायुक्तों के साथ ही एक मुख्यालय उपायुक्त और अतिरिक्त आयुक्त के पद बढ़ाए गए, लेकिन स्टाफ वही रहा। स्टाफ और अधिकारियों की कार्यशैली ऐसी रही कि लोग चार साल बाद भी इस असमंजस में हैं कि उनका क्षेत्र उत्तर में है या दक्षिण में। इसके चलते लोगों के कार्य अटक जाते हैं।
  4. कचरा निस्तारण
    निगम उत्तर और दक्षिण के बीच कचरा निस्तारण को लेकर भी विवाद रहा। हाल ही में निगम उत्तर का कचरा खाली करने के लिए भी निगम दक्षिण के डंङ्क्षपग स्टेशनों का सहारा लेना पड़ा।
  5. पार्षदों का खर्चा बढ़ा
    65 से 160 वार्ड हुए तो निगम को 160 पार्षदों को तनख्वाह देनी पड़ी। पार्षदों को प्रतिमाह 5 हजार रुपए के हिसाब से निगम हर माह 8 लाख रुपए खर्च करता है। इसके अलावा पार्षदों के मद से होने वाले विकास कार्य पर भी प्रतिवार्ड 25 लाख के हिसाब से 40 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं।
  6. स्वच्छता सर्वेक्षण
    पूर्व में जब निगम एक था उस समय 2018 में स्वच्छता में 188वीं रैंक थी। दो निगम होने से रैंकिंग गिरी। गत वर्ष निगम उत्तर को 298वां स्थान मिला। 110 स्थान नीचे आ गया। निगम दक्षिण 210वें स्थान पर रहा, जो कि 2018 के मुकाबले 22 पायदान नीचे लुढ़क गया।

एक्सपर्ट व्यू : पूरे शहर के विकास कार्यों में एकरूपता रहेगी

नगर निगम दो होने के बाद पिछले चार वर्षों में जोधपुर के अधिकांश लोगों को ये भी समझ में नहीं आ रहा है कि वो नगर निगम उत्तर में हैं या दक्षिण में। न तो दो नगर निगम चलाने के लिए स्टाफ है और न ही इंफ्रास्ट्रक्चर है। दोनों नगर निगम का विभाजन राजस्व के लिहाज से भी सही नहीं है। राजस्व स्रोत दक्षिण में ज्यादा हैं ,ऐसे में उत्तर नगर निगम आय की दृष्टि से भी पिछड़ा रहा है। दोनों नगर निगमों को पुनर्गठित कर वापस एक नगर निगम बनाने से काम ज्यादा अच्छे ढंग से होगा। सबसे बड़ी बात पूरे शहर के विकास कार्यों में एकरूपता रहेगी। सरकारी नीतियों के क्रियान्वयन में शहर में एकरूपता रहेगी। शहर की सफाई व्यवस्था, विकास कार्यों के क्रियान्वयन और आम जनता हित में दोनों नगर निगमों का एकीकरण करना प्रशासनिक दृष्टि से सही होगा।

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