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जिले में भूजल के गिरते स्तर के कारण पानी की बढ़ती क्षारीयता व कम उपलब्धता इस परिस्थिति के अनुकूल होने के चलते किसानों का अनार की बागवानी की ओर रुझान बढ़ा है। अनार के पौधों में ड्रिप प्रणाली से पानी देने, अन्य फसलों की अपेक्षा कम पानी की जरुरत के चलते व हल्के क्षारीय पानी मे भी उत्पादन देने के गुण के कारण पश्चिमी राजस्थान के किसानों का रुझान अनार की ओर बढ़ा है।
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बाड़मेर-जालोर उत्पादन में टॉप पर
वर्ष 2010 से बाड़मेर जिले में अनार की खेती शुरू हुई थी। प्रदेश में अनार की खेती करीब 20 हजार हेक्टेयर में की जा रही है तथा इसका उत्पादन करीब 100 हजार मीट्रिक टन हुआ है। प्रदेश के 90 प्रतिशत क्षेत्रफल बाड़मेर और जालोर जिले में है। इन क्षेत्रों का अनार नरम बीज, भगवा रंग, काफी दिनों तक यह खराब नहीं होता है, इन्हीं गुणों के कारण यहां का अनार अन्य राज्यों की अपेक्षा अधिक गुणवत्तायुक्त है।
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