राज्य सरकार ने नवम्बर 2021 में जेएनवीयू की इंजीनियरिंग फैकल्टी यानी एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज को अलग करके विश्वविद्यालय बना दिया, लेकिन एमबीएम के सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों और शिक्षकों की पेंशन बीते तीन साल में जेएनवीयू ही दे रहा था। तीन साल में जेएनवीयू,
जोधपुर ने पचास करोड़ रुपए एमबीएम के पेंशनर्स को दिए। अब जेएनवीयू के खुद के कार्मिकों को पेंशन देने के लिए बार-बार रुपए उधार लेने पड़ रहे हैं। इसलिए एमबीएम के पेंशनर्स को भविष्य में पेंशन नहीं देने का निर्णय किया।
50 करोड़ की आय बंद
जेएनवीयू का कहना है कि उसके इंजीनियरिंग व आर्किटेक्चर संकाय यानी एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज निष्क्रिय हो जाने के कारण लगभग 50 करोड़ की आय बंद हो चुकी है। इस कारण पेंशन के लिए सालाना 20 करोड़ का ऋण ब्याज पर लेना पड़ रहा है। सिण्डीकेट मिनट्स के अनुसार चूंकि अस्थायी रूप से जेएनवीयू के इंजीनियरिंग संकाय से संबंधित आय के स्रोत जिनसे पूर्व में इंजीनियरिंग संकाय के पेंशनर्स को पेंशन दी जा रही थी, वर्तमान में एमबीएम विवि के पास है। इस कारण तत्काल प्रभाव से अक्टूबर माह से पेंशन का दायित्व एमबीएम विश्वविद्यालय को दिया जा रहा है।