पिछले दस वर्षों में शहर की आबादी 9 लाख से बढ़कर 16 लाख हो गई है। आबादी के हिसाब से शहर में 150 टंकियों की जरूरत है, अभी जलापूर्ति के लिए 89 उच्च जलाशय (टंकियां)ही हैं।
क्लोजर के दौरान जलापूर्ति की कोई योजना नहीं 24 मार्च से 18 अप्रेल तक राजीव गांधी लिफ्ट कैनाल में क्लोजर हो रहा है। हालांकि जलदाय मंत्री दावा कर रहे हैं कि क्लोजर नहीं होगा और होने पर भी पानी को लेकर सारी व्यवस्थाएं कर ली जाएंगी, जबकि हकीकत यह है कि अधिकारियों के पास अभी तक क्लोजर अवधि में सुचारु जलापूर्ति को लेकर कोई प्लानिंग नहंीं है। गर्मियों में हर घर तक पानी पहुंचाने की भी कोई योजना नहीं है। वहीं वर्तमान में कायलाना और तखतसागर को मिलाकार मात्र दस दिन का पानी बचा है। अगर पानी का स्टोरेज नहीं किया गया, तो घर-घर में पानी को लेकर हाहाकार मचना तय है।
दोगुनी हो जाती है पानी की कीमत गर्मी के मौसम में ट्रैक्टर टैंकर से पानी विपणन का कार्य जहां पीक पर होता है, वहीं पानी के दाम बढ़कर दोगुने से भी अधिक हो जाते हैं। प्रति टैंकर 100 रुपए से 300 तक बढ़ जाती है। पानी की उपलब्धता के लिए किया जाने वाला खर्च प्रति परिवार 300 से 800 रुपए तक बढ़ जाता है। यह राशि शहरों में सरकारी पेयजल योजनाओं से पानी उपभोग करने वाले परिवारों से कई गुना अधिक है, जबकि जलापूर्ति काफी कम होती है।
जलापूर्ति बाधित करवा देते हैं ट्रैक्टर टैंकर मालिक कुछ ऐसे क्षेत्र भी हैं, जहां अधिक मुनाफा के चक्कर में ट्रैक्टर टैंकर मालिक सरकारी पेयजल योजनाओं तक को ठप करवा देते हैं। स्थानीय कर्मचारियों की मिलीभगत से गांवों की सप्लाई को कुछ समय तक योजनाबद्ध तरीके से तकनीकी गड़बड़ी कर जलापूर्ति बाधित करवाते हैं। शिकायत करने पर जलदाय विभाग के उच्चाधिकारी भी कुछ नहीं कर पाते हैं। विद्युत मोटर में खराबी कर देना, पाइपलाइन को तोड़ देना आदि दर्जनों ऐसी तकनीकी गड़बडि़यां हैं, जिसके चलते कुछ दिन के लिए जलापूर्ति बाधित हो जाती है।
कभी भी गिर सकती है टंकी जलदाय विभाग की ओर से बनाई गईं पानी की टंकियां जर्जर हो चुकी हैं। कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। लोगों का आरोप है कि कई बार लिखित शिकायत देने के बावजूद विभाग के जिम्मेदार इस तरफ ध्यान नहीं देते हैं। शहर में मीठे पानी की आपूर्ति के लिए विभाग की ओर से करीब तीन दशक पहले टंकियों का निर्माण करावा गया था। रख-रखाव के अभाव में ये टंकियां जर्जर हो गई हैं। कई टंकियों से प्लास्टर और ईंटें टूटकर गिरती रहती हैं।
शहर में 10 टंकियां खराब शहर के 89 उच्च जलाशयों में 10 की हालत बदतर है। नागौरी बेरा में 20 मीटर ऊंची पानी की टंकी कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकती है। यदि टंकी अचानक गिरती है, तो आसपास के मकानों पर भी इसका असर पड़ेगा। जर्जर टंकियों में से एक की तो छत ही टूट कर अंदर गिर चुकी हैं। टंकियां बुरी तरह जर्जर हो चुकी हैं, पिलर्स में दरार पड़ गई है और सीढिय़ों का प्लास्टर झड़ चुका है। कई टंकियों से पानी रिसता रहता है।
पीलिया का खतरा, नहीं कराते टंकी की सफाई शुद्ध पानी न मिले तो जलजनित संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। पानी टंकियों की नियमित सफाई नहीं हो पा रही है। मतलब साफ है कि विभाग लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहा है और साफ.-सफाई पर ध्यान नहीं दे रहा है। शहर में कई टंकियों की सफाई हुए नौ से 13 महीने बीत चुके हैं। दूषित पानी पीने के कारण कई बीमारियां होती हैं। दो साल पहले भी भीतरी शहर, माता का थान व बासनी तम्बोलिया में दूषित पानी से लोग पीलिया, आंत्रशोध जैसे बीमारी की चपेट में आ चुके हैं।
14 नए उच्च जलाशय बनेंगे शहर की आबादी के हिसाब से उच्च जलाशय कम हैं। इसलिए हम 14 नए जलाशय बना रहे हैं। इसके बाद जलापूर्ति में काफी सुधार आएगा। नागौरी बेरा की जर्जर टंकी को जल्दी ही गिराया जाएगा। इसकी कार्यवाही चल रह है। छह मार्च से हमें कैनाल से अतिरिक्त पानी मिलना शुरू हो जाएगा। एेसे में गर्मियों में पानी की समस्या नहीं आने देंगे। जर्जर
-कैलाश रामदेव, अधीक्षण अभियंता नगर वृत्त जलदाय विभाग