शास्त्रों के अनुसार गणपति के 16 रूप माने गए हैं और कहा जाता है कि बालियाव के इन गणपति महाराज में वे सभी सोलह रूपो का समावेश है। ये रूप है सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्ण, लंबोदर, विकट, विघ्ननाशक, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचन्द्र, गजानन, विघ्नेश, परशुपाणि, गजास्य और शूर्पकर्ण।
शादी -ब्याह, मुकलावा, धार्मिक अनुष्ठान या फिर किसी प्रतिष्ठान का मुहूर्त होने पर पचास- पचास कोस क्षेत्र के लोग यहां वालियाव के गणपति महाराज को आमंत्रण देने के लिए अपनी कुमकुम पत्रिका या आग्रह पत्र लेकर पहुंचते हैं,उन्हें पढ़कर सुनाते हैं।
ऐसी मान्यता है कि यजमान के आग्रह को गणपति स्वीकार कर उनका मनोरथ पूर्ण करते हैं। इन दिनों गणपतिजी की ओर से अब तक मिली कुमकुम पत्रियों एवं आग्रह पत्रों का गजानन महाराज की ओर से यजमानों को पुजारी खुशहाली और सम्पन्नता के पत्र लिखे जा हैं।
सत्रह सौ यजमानों को जाएंगे पत्र बालियाव गजानन मंदिर के पुजारी चंदूभाई के अनुसार इस कोरोना काल के बावजूद सत्रह सौ लोगों ने यहां आकर भगवान को कुमकुम पत्रिकाएं एवं आग्रह पत्र पढ़कर सुनाए और उन सब परिवारों में गजानंद जी महाराज की कृपा से सानंद अनुष्ठान हुए। उनमें से कई यजमान परिवारों ने यहां आकर गजानंद जी की सवामणी की थाली भी कर डाली है, यह क्रम जारी भी है। अब जब मलमास को लेकर फुर्सत के क्षण है तो गजानंद जी महाराज की ओर से सभी यजमानों को गजानंद महाराज की ओर से खुशहाली और संपन्नता तथा आशीष के साथ पत्र लिखे जा रहे हैं।
खेतों में नुकसान नहीं करते हैं चूहे
दशकों से गजानन महाराज की क्षेत्र में बड़ी महिमा है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर के कुएं का पानी जिन खेतों में चूहों का ज्यादा नुकसान होता है तो किसान यहां के कुएं का पानी लेकर जाते हैं और अपने खेतों में छिड़काव कर देते हैं। किसानों के अनुसार इस कुएं का पानी छिड़कने के बाद चूहे उस खेत को छोड़ देते हैं और वहां कभी भी फसल को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।